भाजपा को मिले चंदे में पिछले साल हुआ 28 फीसदी का इजाफा

पिछले साल राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों को मिले चंदों पर एडीआर ने मंगलवार एक रिपोर्ट जारी की। 20 हजार या इससे अधिक राशि के घोषित राजनीतिक चंदे की बात करें, तो इन दलों को पिछले साल के मुकाबले इस साल 31.50 फीसदी अधिक चंदा प्राप्त हुआ है। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा को सबसे ज्यादा 614.626 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा मिला है। कांग्रेस इस मामले में दूसरे नंबर पर है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय दलों को मिलने वाले चंदों में 2020-21 की तुलना में 187.026 करोड़ (31.50 फीसदी) रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इन दलों को पूरे देश से 780.774 करोड़ बतौर चंदे के रूप में मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह राशि 20 हजार से अधिक वाले कुल 7,141 दान द्वारा प्राप्त हुई है।

विपक्षियों के मुकाबले भाजपा को कहीं ज्यादा मिला चंदा
राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पहला नाम भाजपा का है। पिछले साल पार्टी को 4,957 दान द्वारा 614.626 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ। धनराशि के हिसाब से बीजेपी के दान में 28.71 फीसदी की वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भाजपा को 477.545 करोड़ रुपए का दान मिला था। बीजेपी का कुल दान बाकी छह राष्ट्रीय दलों (कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, एनपीईपी और तृणमूल कांग्रेस) के कुल दान से तीन गुना से भी ज्यादा है।

इस मामले में दूसरा नाम देश की मुख्य विपक्षी कांग्रेस का आता है। इसने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 74.524 करोड़ रुपए का दान घोषित किया था जो वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28.09 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 95.459 करोड़ हो गया। प्राप्त दान के मामले में एनसीपी तीसरे स्थान पर है। इसे 247 दान से 57.905 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा चार अन्य राष्ट्रीय पार्टियों में सीपीआईएम (10.055 करोड़), सीपीआई(1.945 करोड़), एनपीपी (35.4 लाख) और टीएमसी (43 लाख) शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 के तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान एनपीपी के दान में 40.50 फीसदी और सीपीआई(एम) के दान में 22.06 फीसदी की कमी आई है। 

बसपा ने 16 साल से नहीं दी कोई जानकारी
इस मामले में मायावती की पार्टी बसपा का रिकॉर्ड सबसे अलग है। उसने पिछले 16 साल से ऐसे किसी राजनीतिक चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध नहीं कराई है जिसकी राशि बीस हजार रुपये या इससे अधिक हो। बसपा का इस मामले पर हमेशा यही कहना रहा है कि उसके चंदा देने वाले कार्यकर्ता बेहद गरीब हैं और उनमें से किसी एक के लिए भी बीस हजार रुपये का चंदा दे पाना संभव नहीं है।

चंदा देने में सबसे आगे दिल्ली वाले 
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय पार्टियों को मिलने वाले चंदों पर राज्यवार ब्यौरा भी दिया है। इसके मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22 में दिल्ली के लोगों ने पूरे देश में सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा दिया है। कुल चंदे का 395.849 करोड़ रुपये दिल्ली से मिला है। 105.3523 करोड़ रुपये महाराष्ट्र से और 44.9584 करोड़ रुपये गुजरात से प्राप्त हुआ है। 

कॉर्पोरेट घरानों ने दिया इतना चंदा 
वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्रीय दलों को 625.883 करोड़ रुपए (कुल चंदे का 80.17 फीसदी) का चंदा 2551 कॉर्पोरेट घरानों से मिला है। वहीं, 153.328 करोड़ का चंदा (कुल चंदे का 19.64 फीसदी) 4506 व्यक्तिगत दान दाताओं से प्राप्त हुआ है।

भाजपा को 2,068 कॉर्पोरेट दान दाताओं से 548.808 करोड़ रुपए और 2876 व्यक्तिगत दान दाताओं से 65.774 करोड़ का चंदा मिला है। इस मामले में भी कांग्रेस दूसरे स्थान पर है। पार्टी को 170 कॉर्पोरेट दान दाताओं से 54,567 करोड़ रुपए का चंदा मिला जबकि 40.892 करोड़ रुपए व्यक्तिगत दान दाताओं ने दिए।

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट चंदा देने में सबसे अव्वल 
सबसे ज्यादा चंदा देने वालों की बात करें तो प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे अव्वल है। इसने बीजेपी और कांग्रेस को कुल 353.00 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। ट्रस्ट दोनों दलों के शीर्ष दो दान दाताओं में से एक है। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 336.50 करोड़ (कुल प्राप्त चंदे का का 54.75 फीसदी) और कांग्रेस को 16.50 करोड़ (कुल प्राप्त चंदे का 17.28 फीसदी) का चंदा दिया है।  

व्यक्तिगत मामलों में रंजना सचदेव संतोष ने एनसीपी को 16 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। नुवोको विस्टास कारपोरेशन लिमिटेड ने कांग्रेस को 15 करोड़ का चंदा दिया है। भाजपा को पैसिफिक एक्सपोर्ट्स से 10.50 करोड़ और ऐबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, श्रीजी शिपिंग और यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल प्रत्येक से 10-10 करोड़ का चंदा मिला है।

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