इसे पप्पू मत समझिये !


न जाने कुछ लोगों ने राहुल गांधी को पप्पू कहना शुरु क्यूं किया ! तंग आकर प्रियंका गांधी वाड्रा को कैमरे के सामने आकर कहना पड़ा कि उसका भाई पप्पू नहीं है, किसी को यकीन न हो तो उसकी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिग्री देख ले, किन्तु फिर भी भारत में ऐसे लोगों की तादाद बहुत है जो राहुल को पप्पू मानते हैं। इनमें कुछ तो कांग्रेस के ही लोग हैं जो राहुल पर बदगुमानी, बदतमीजी, बेहूदगी तथा चापलूसी पसन्दगी का आरोप लगा कर पार्टी छोड़ गए।

कांग्रेस में ही ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जो राहुल के तौर-तरीकों, अन्दाज़-ए-बयाँ और उनके तर्कों-कुतर्कों, निर्णयों से ख़फ़ा है लेकिन अपनी-अपनी मजबूरियों के चलते कान दबाये पार्टी में पड़े हैं। पंजाब में ठीकठाक चलती कांग्रेस सरकार और कांग्रेस संगठन को जोकरों के हवाले कर कैसे सीमावर्ती राज्य में पन्नू के गुर्गों की जड़े जमवाई गई, यह राहुल की जानबूझ कर की गई गलती नहीं, साजिश मानी जा रही है। पंजाब की रणनीति से राहुल गांधी की भारत जोड़ो की पोल पूरी तरह खुल गई कि जोड़ने के बजाय तोड़‌ना ही राहुल का लक्ष्य है।

राहुल को न सिर्फ पप्पू बताया जाता है, उन्हें मूर्ख, फूहड़ तक बताया जाने लगा है। राहुल का यह आंकलन पूरी तरह गलत है। राहुल जानते हैं कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति लोक यानी जनता है। जनता को अपनी ओर आकर्षित करना सबसे बड़ी कला है। राहुल को इसमें महारथ हासिल है। रोज ही वे ऐसी बात बोल देते हैं, या ऐसी हरकत कर देते हैं जिससे मीडिया उन्हें फौरन हाईलाइट करे। सासाराम में उन्होंने अपनी यात्रा में उन लोगों को खूब फटकारा जो चौबीसों घंटे जयश्री राम कहते हैं और घंटा बजाने में लगे रहते हैं। चंदौली में कहा कि मोदी ने राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा में अमीरों के लिए लाल कालीन बिछवा दी। एक भी गरीब प्राणप्रतिष्ठा में शामिल नहीं हुआ, अमिताभ बच्चन बल्ले-बल्ले करते रहे, ऐश्वर्या राय ठुमके लगाती रही। अडानी-अंबानी की खूब आरती उतारी गई। राहुल को इससे कोई फर्क नहीं पड़‌ता कि ऐश्वर्या राय प्राणप्रतिष्ठा समारोह में आई थीं या नहीं। राम मंदिर के दर्शनों के लिए आए 20 लाख लोगों में कोई गरीब कैसे हो सकता है, जबकि उनके मन में राम नाम का अनमोल खजाना भरा हो? रामलला के दर्शन कोई गरीब, निर्धन, अकिंचन, कपटी-पापी-दुष्ट व्यक्ति कर ही नहीं सकता, राहुल जो समझा रहे हैं, उसे समझने की जरूरत है और यह भी समय लेना चाहिए कि निरन्तर असंगत, अनर्गल, हास्यास्पद तथा अटपटांग बोल कर मीडिया व जनता को अपनी ओर आकर्षित करने का हुनर इस्तेमाल करने वाला पप्पू या मुर्ख नहीं हो सकता। वह तो मूर्खतापूर्ण हरकतों से 140 करोड़ लोगों को मूर्ख बनाने में जुटा है क्यूंकि इसी से उसे वह सब कुछ हासिल करने की तमन्ना है, जो वह चाहते है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here