लाखों लोगों की ज़िन्दगी रोशन कर गए डॉ. बद्रीनाथ !

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के प्रमुख नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एस. एस. बद्रीनाथ (डॉ. सेंगामेदु श्रीनिवास बद्रीनाथ) के 21 नवंबर 2023 को दिवंगत होने पर हार्दिक शोक संवेदना प्रकट करते हुए नेत्र चिकित्सा में उनके महान् योगदान और लाखों लोगों को ज्योति प्रदान करने के उनके मिशन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डॉ. बद्रीनाथ को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। देश के प्रमुख समाचारपत्रों ने उनकी सेवाओं की मुक्तकंठ से सराहना की है।

डॉ. बद्रीनाथ का जन्म 24 फरवरी 1940 में मद्रास (चेन्नई-तमिलनाडु) में हुआ था। मद्रास मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री हासिल करने के बाद अमेरिका के ग्रासलैंड व ब्रुकलिन मेडिकल कॉलेजो से नेत्र चिकित्सा में प्रवीण होकर सन् 1968 में स्वदेश लौटे।

विदेश में बरसों तक अध्ययन-रत रहने और पश्चिमी सभ्यता के बीच आठों पहर गुजारने के बावजूद डॉ. बद्रीनाथ ने भारतीय संस्कारों व सनातन संस्कृति को विस्मृत नहीं किया।
सन् 1974 में कांची पीठ के शंकराचार्य आचार्य जयेन्द्र सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद व मार्गदर्शन प्राप्त किया। यहीं से उनके मन में निर्धन मरीजों की निःस्वार्थ सेवा की भावना का संचार हुआ। गुरु चन्द्रशेखर सरस्वती जी की प्रेरणा से सन् 1978 में आदिशंकराचार्य की स्मृति में शंकर नेत्र चिकित्सालय की स्थापना की और इसकी अनेक शाखायें खोलीं।

डॉ. बद्रीनाथ की सेवाओं और मरीजों के प्रति उनकी उदात्त भावना एक मिसाल है। यह भारतीय संस्कृति के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है कि उन्होंने मृत्यु से पहले ही निर्देश दे दिया कि उनकी मृत्यु पर एक क्षण के लिए भी अस्पताल बन्द न किया जाए, ताकि मरीजों को कोई असुविधा न हो।

डॉ. बद्रीनाथ को पद्मश्री, पद्मभूषण सम्मान और लाइफ टाइम अचिवर्मेट तथा अनेक सम्मानों से नवाजा गया। दुनिया डॉक्टर को दूसरा भगवान् मान कर उनका आदर करती है लेकिन डॉ. बद्रीनाथ ने गरीब में ही जनार्दन का रूप निहार कर उनकी सेवा की। ‘देहात’ उनके निधन पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है और कामना करता है कि हमारी संस्कृति व उच्च संस्कारों को जीवित रखने को भारतमाता के ऐसे सपूत इस धरती पर सदा आते रहें। (लाखों को जीवन ज्योति प्रदान करने वाले डॉ. महेश प्रसाद मेहरे व डॉ. मोहन लाल अग्रवाल की गौरव गाथा अगले अंक में)।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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