जवानों का निरर्थक बलिदान कब तक ?

24 नवंबर: देश को यह दुःखद और रोष भरा समाचार सुनना पड़ा कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बाजीमाल इलाके में पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी कारी के साथ गुठभेड़ में हमारे एक मेजर, 2 कैप्टन, हवलदार सहित पांच जवान शहीद हो गये। मुठभेड़ में आतंकी कारी के साथ एक अन्य आतंकी भी मारा गया है।

घाटी में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमलों, सीमा पर घुसपैठ तथा युद्ध-विराम का उल्लंघन और भारत के विभिन्न स्थानों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के गुर्गों की सक्रियता, जासूसी तथा पाकिस्तानी स्लीपिंग सेल्स की गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं।

कल ही जम्मू के ज्यौड़ियां जिले के पलांवाला इलाके में भारत-पाक सीमा के पास सुरक्षाबलों ने एक पेटी में हथियार, ग्रेनेड, गोलियों का बड़ा जखीरा बरामद किया। बक्से में आईईडी भी मिली है। इसी दिन पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि पंजाब पुलिस ने आईएसआई का मोड्यूल चलाने वाले पाकिस्तान के तीन गुर्गो को हथियार व गोलियों सहित गिरफ्तार किया है।

एलओसी व जम्मू-कश्मीर सहित पूरे भारत में पाकिस्तानी गुर्गे खुलेआम तथा लुक-छिप कर बारहों महीने देश विरोधी गतिविधियों में लगे रहते हैं। आतंकियों से ज्यादा खतरा आतंकियों को शरण देने वालों और उन्हें हर प्रकार की मदद देने वाले उन सफेद‌पोश गुर्गों से है जो लोकतंत्र का लबादा पहन, बगल में भारत का आईन (संविधान) दबाये शहर-शहर गली-गली पाकिस्तान व इस्लामिक कट्टरपंथियों की नौकरी बजा रहे हैं।

इन दुष्टों की साजिशों के कारण हमारे वीर जवानों को आये दिनों नाहक प्राणों की आहुती देनी पड़ रही है। राष्ट्र इस सर्वोच्च बलिदान को कब तक सहे, यह प्रश्न 142 करोड़ भारतीयों के मन को हर क्षण झझकोरता है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here