केरल के मुख्यमंत्री की बेटी वीणा पर ईडी ने दर्ज किया केस, गैरकानूनी लेन-देने का आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी वीणा के खिलाफ पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया है. उन पर एक मिनिरल फर्म के साथ गैरकानूनी लेन-देन का आरोप है. इस मामले में एसएफआईओ शिकायत ने दर्ज की थी. ये मामले आयकर विभाग की जांच में सामने आया था. जांच में पता चला कि कोच्चीन मिनिरल्स रूटाइल लिमिटेड ने वीणा की कंपनी एक्सालोजिक्स सॉल्यूशन्स को 2018-19 के बीच में 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि उस समय ये आईटी फर्म कोई सर्विस नहीं मुहैया करवा रही थी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर विवाद के बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी की आईटी फर्म के साथ विवादास्पद खनन फर्म के साथ वित्तीय लेनदेन की जांच शुरू की है.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसआईएफओ) पहले से ही उन लेनदेन की जांच कर रहा है, जिन पर कथित तौर पर अनुचित लाभ लेने का आरोप है. केरल में अलाप्पुझा और कोल्लम के तटीय क्षेत्रों से खनिज रेत खनन के लिए केरल सरकार की खनन फर्म है.

ईडी की कार्रवाई पर बिफरी माकपा

दूसरी ओर, सीपीआई (एम) ने ईडी की कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. सीपीआई (एम) ने कहा कि ईडी भाजपा की एजेंसी के रूप में काम कर रही थी. दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है की कि ताजा कदम केरल में सीपीएम-बीजेपी सांठगांठ को कवर करने के लिए सिर्फ एक “स्टंट” था.

कांग्रेस के विपक्षी नेता वीडी सतीसन ने कहा कि भले ही ईडी ने केरल में सीपीआई (एम) सरकार और सीपीआई (एम) नियंत्रित सहकारी बैंकों के खिलाफ कई जांच शुरू की है, लेकिन वास्तविक दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसी तरह एसआईएफओ ने भी संदिग्ध लेनदेन में शामिल लोगों को कोई नोटिस जारी नहीं किया था. इसलिए ईडी का वर्तमान कदम केरल में भाजपा-सीपीएम सांठगांठ को कवर करने के लिए केवल एक “स्टंट” था.

कांग्रेस ने बीजेपी-माकपा पर साधा निशाना

सतीसन ने यह भी आरोप लगाया कि आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्री एम ने सीपीआई (एम)-भाजपा, आरएसएस गठजोड़ में बिचौलिए की भूमिका निभाई और बदले में केरल सरकार ने उन्हें चार एकड़ जमीन पट्टे पर दी.

आरोप है कि कोचीन मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड द्वारा वीना और उनकी बेंगलुरु स्थित फर्म एक्सलॉजिक सॉल्यूशंस को 1.72 करोड़ रुपये दिए गए. आयकर अंतरिम निपटान बोर्ड ने शुरू में इस सौदे और आगे की जांच पर संदेह जताया था. केंद्रीय एजेंसियों ने यह भी पाया कि वीना की फर्म द्वारा टी को प्रदान की गई किसी भी सेवा का कोई सबूत नहीं था.

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