कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का चुनाव !

यदि डॉ. संजीव बालियान प्रशासनिक सचिव पद के चुनाव में मुकाबले के प्रत्याशी न बनते तो सम्भवतः मुजफ्फरनगर जनपद‌ के अधिकांश लोगों की राजधानी दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब व उसकी महत्ता का ज्ञान न हो पाता।

स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान संविधान सभा (कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली) का दिल्ली में गठन हो चुका था। असेंबली के सदस्यों के लिए उठने-बैठने, विचार-विमर्श करने के लिए एक सामुदायिक स्थान की आवश्यकता महसू‌स की गई। जहां अब प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, यूएनआई, इंडियन एंड ईस्टर्न न्यूजपेपर्स सोसाइटी का भवन है, विठ्ठलभाई पटेल भवन के समीप (ये इमारतें बाद में बनी हैं) एक खाली पड़े मैदान में संविधान सभा के सदस्यों के लिए बैठने-उठने व चाय-कॉफी का सांझा कांफ्रेंस हॉल अथवा मंच बनाया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इसे विधिवत कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का नाम दिया गया। फरवरी 1965 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का औपचारिक उद्घाटन किया, यद्यपि यह सन् 1940 में बन चुका था। सदस्यों की सुविधा के लिए कई नये निर्माण हुए। आज क्लब अनेक सुविधाओं से लैस है। आज इसमें विशाल सम्मेलन कक्ष, कैफेटेरिया, बिलियर्ड्स रूम, जिम, यूनिसेक्स सैलून, स्विमिंग पूल, बैडमिंटन हॉल तथा बड़ा मैदान है। सांसद तथा पूर्व सांसदों के अलावा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दल, सामाजिक संस्थायें भी करती हैं क्योंकि इसमें बैठकों, कांफ्रेंस की समस्त सुविधायें उपलब हैं।

यहाँ उल्लेख करना चाहूंगा कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित कांफ्रेंसों बैठकों में कई बार सम्मिलित होने का अवसर मिला। सन् 1961 में अ.भा. समाचार पत्र सम्मेलन की बैठक कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में संपन्न हुई थी। मुख्य अतिथि के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व मुख्य वक्ता के रूप में रक्षामंत्री वीके.कृष्ण मेनन सम्मिलित हुए थे। सम्मेलन के अध्यक्ष चपलाकान्त भट्टाचार्य ने भारत स्थित अमेरिकी राजदूत एल्सवर्थ बंकर को भी निमंत्रित किया हुआ था। बाद में तत्कालीन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह, पी.वी. नरसिम्हा राव द्वारा संबोधित बैठकों में सम्मिलित हुआ। मजदूर किसान नेता रामचंद्र विकल के जन्मदिन समारोह में, जो कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित था, शामिल हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. कर्णसिंह थे। राष्ट्र गान ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ के रचयिता श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ भी इस अवसर पर उपस्थित थे। अन्य अनेक अवसरो पर भी कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आने का अवसर प्राप्त हुआ।

कॉन्स्टिट्यूशन क्लब हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतिष्ठा पूर्ण और गरिमामयी स्थली है। क्लब का पहला चुनाव सन् 2009 में हुआ। क्लब के संविधान के अनुसार इसके पदेन अध्यक्ष लोकसभा के अध्यक्ष होंगे और उपाध्यक्ष केन्द्र के शहरी विकास मंत्री होंगे। तीन सचिव प्रशासनिक, खेल, संस्कृति होंगे। एक कोषाध्यक्ष होगा। 11 कार्यकारिणी सदस्य होंगे। कार्यकाल 5 वर्ष होगा। वर्तमान में क्लब के 1295 सदस्य है।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजीव प्रताप रूडी तीन बार प्रशासनिक सचिव निर्वाचित हुए। खेल सचिव पद पर राजीव शुक्ला व संस्कृति सचिव पद पर तिरुचि शिवा, कोषाध्यक्ष पद पर जितेन्द्र रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके थे। राजीव प्रताप रूडी ने चौथी बार भी प्रशासनिक सचिव पद के लिए नामांकन पत्र भरा तो अप्रत्याशित रूप से भाजपा के ही पूर्व सांसद-पूर्व मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने भी सचिव (प्रशासनिक) पद के लिए नामांकन पत्र भर दिया। डॉ. बालियान के इस निर्णय से चुनाव अवश्यम्भावी और दिलचस्प हो गया। डॉ. बालियान का यह निर्णय स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का एक कदम था किन्तु सदा उखाड़-पछाड़ की राजनीति के समर्थकों ने इसे ‘भाजपा बनाम भाजपा’ बता डाला, कुछ इसे जाति-बिरादरी के चश्मे से देखने लगे। कुछ मतदान से पहले ही हार-जीत का दांव लगाने लगे और कुछ ने तो परिणाम आने से पूर्व जीत की बधाइयां देनी शुरू कर दीं।

देख लेते हैं कि सचिव पद के प्रत्याशी लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्या स्थान रखते हैं। इनका संक्षित जीवन परिचय क्या है।

राजीव प्रताप रूडी का जन्म बिहार के सारण जिले के अमनौर ग्राम में 30 मार्च, 1962 को हुआ। उच्च शिक्षा ग्रहण कर राजनीति में उतरे। छपरा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक निर्वाचित हुए। चार बार सांसद (एक बार राज्यसभा सदस्य) निर्वाचित हुए। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। मोदी मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग, कौशल विकास, संसदीय कार्य मंत्री रहे।

दूसरे प्रत्याशी डॉ. संजीव बालियान का जन्म 23 जून, 1972 में मुजफ्फरनगर के कुटबी ग्राम में हुआ। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय रोहतक से सीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण की। पशु चिकित्सा में पीएचडी किया। सन् 2014 रथा 2019 में भाजपा के टिकट पर जीत कर लोकसभा पहुंचे। सन् 2013 के कवाल के विवाद में निर्दोष पकड़े गये लोगों, विशेषकर युवकों की रक्षा में भरपूर कानूनी सहायता दी।

नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में कृषि, जलसंसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्रालयों में राज्यमंत्री रहे। केन्द्रीय मंत्री के रूप में मुजफ्फरनगर जनपद में राजमार्गों, राष्ट्रीय मार्गों, पुलों, की परियोजनाएं संचालित कराने, डेयरी उद्योग, गोसंरक्षण एवं संवर्द्धन केन्द्र की स्थापना, रेलवे लाइन के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण के लिए अथक प्रयास किये। यही कारण है कि जब डॉ. बालियान ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव पद के लिए नामांकन पत्र भरा तो जिलेभर में उनकी विजय की कामना की गई, यद्यपि यह चुनाव विधानमंडल या संसद के चुनाव जैसा नहीं था, जिसमें आम जनता की सीधी भागीदारी होती है। चुनाव की महत्ता को देखते हुए पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन अशोक बालियान, भारतीय किसान यूनियन (अरा.) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक आदि विशिष्टजन दिल्ली पहुंचे हुए थे। 707 मतों में से डॉ. बालियान ने 290 मत हासिल किये। श्री रूडी 100 मतों के अन्तर से चौथी बार सचिव बने। उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस, सपा, टीएमसी व निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिला है। मेरे कार्य को देख मुझे चौथी बार चुना गया। ताल ठोक कर मैदान में उतरने वाले डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि आत्म मंथन करूंगा और लोकतंत्र की परिपाटी चलती रहेगी।

डॉ. बालियान ने यथा स्थितिवाद को चुनौती दी थी। स्वस्थ लोकतंत्र का यह स्वस्थ चिह्न है। इसमें न हार-जीत का प्रश्न है, न भाजपा बनाम भाजपा का। संकीर्ण मानसिकता के लोग इस चुनाव को हार-जीत के नज़रिये से देख सकते हैं किन्तु डॉ. बालियान ने मैदान में उत्तर कर लोकतांत्रिक परंपरा को मज़बूत ही किया है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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