प्रधानमंत्री ने रामनगरी अयोध्या के विकास को लेकर बनायी गई भव्य योजना पर विचार-विमर्श के दौरान कहा कि त्रेता युग की याद दिलाने वाली अयोध्या युवाओं को इतनी आकर्षक लगे कि वे जीवन में एक बार अयोध्या अवश्य जायें। श्री मोदी ने कहा कि अयोध्या के विकास में युवा वर्ग की भागीदारी अवश्य होनी चाहिये तथा उन्हें राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर जिंदगी बसर करनी चाहिए।
ज्ञातव्य है कि 26 जून 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20,000 करोड रुपये की लागत से 1200 एकड़ क्षेत्र में नया और आधुनिक अंतरराष्ट्रीय स्तर का आध्यात्मिक केंद्र स्थापित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना का वृहत संयोजन पत्र प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया था। परियोजना में ऐसी अयोध्या की रूपरेखा बनाई गई है जो विश्व के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में दिखाई दे तथा जो विश्व स्तरीय आधुनिकतम सुविधा से लैस हो।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अति महत्व की बात कही है – युवा वर्ग को राम और अध्यात्म से जोड़ने की। यह विचार बुढ़ापे में तीर्थाटन करने की परंपरा को नकारता है और युवास्था में ही सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति तथा अध्यात्म के विरुद्ध जो कुचक्र रचे वे तो जग जाहिर हैं किंतु स्वतंत्रता के पश्चात भी वैदिक संस्कृति और धर्म के प्रति हीन भावनायें फैलाई गईं। भारतीय संस्कृति के प्रतीकों तथा स्थलों की जान बूझकर उपेक्षा की गई।
संसार में इस समय इस्लाम, ईसाई व यहूदी धर्मों के मानने वाले अपने-अपने धर्म स्थलों या प्रमुख तीर्थ स्थलों को पूजने में गौरवान्वित होते हैं। दुनियाभर के मुसलमान मक्का स्थित काबा के पत्थर संग-ए-असवद को चूम कर खुद को धन्य समझते हैं। संसार भर के ईसाई वेटिकन सिटी जाने को आतुर रहते हैं। संसार ने देखा है विश्व भर के यहूदी पुराने यरुशलम टैंपल माउंट (हर अवियत) और अल-अक्सा की पश्चिमी दीवार के लिये मर मिटने को तैयार हैं। मई में इजरायल और फिलिस्तीन का युद्ध इसका गवाह है।
किंतु सेकुलरवाद की दुदुंभी बजाने वाले हज यात्रा पर तो सब्सिडी देने पर शर्मिंदा नहीं हुए। अयोध्या का नाम फ़ैजाबाद और प्रयागराज का नाम इलाहाबाद तथा लखनपुरी का नाम लखनऊ रखने पर उन्हें ऐतराज नहीं हुआ, राम मंदिर का पुननिर्माण होने और नयी अयोध्या बसने पर उनकी छाती फटी जा रही है।
गोविंद वर्मा
संपादक देहात