मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 20 प्रतिशत भूभाग को हरित क्षेत्र बनाने का सर्वहितकारी संकल्प लिया है। 9 जुलाई 2025 को एक दिन में 26 राजकीय विभागों तथा 25 करोड़ नागरिकों के सहयोग से 37 करोड़ पौधा रोपण की योजना है। पौधा रोपने के फोटो सरकारी वेबसाइटों पर लोड की जाएंगी जिससे पता चल जाएगा कि प्रदेश में कितने पौधे रोपे गए।
रोपे गए पौधों के आंकड़े हर वर्ष प्रकाशित होते हैं किन्तु कितने पौधे बचे रहे, यह कोई नहीं बताता। बस कह दिया जाता है कि 84-85 प्रतिशत पौधों की बढ़वार हो रही है। पौधा रोपण के साथ नये रोपे गए पौधों का संरक्षण एवं पहले से मौजूद वृक्षों को बचाये रखने का महत्व अधिक है।
लेकिन असलियत क्या है? मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट में बरगद का विशाल पेड़ कहां गया? जिसके तले कुआं था जिसका ठंडा पानी हीरा चौधारी वकीलों और मुवक्किलों को पिलाता था। कचहरी के समीप पुलिस क्लब के सामने सैकड़ों वर्ष प्राचीन शीशम का वृक्ष था, 2 वृक्ष और थे। 2- 3 वर्ष पहले तक थे। शीशम पर रात भर कुल्हाड़ी, आरियां चलती रहीं। एसएसपी कार्यालय व जिलाधिकारी का दफ्तर तो चन्द कदमों पर था। क्या रात को वहां चौकीदार या सुरक्षागार्ड नहीं रहता? सार्वजनिक स्थल से वृक्ष काटने के बाद सामाजिक वानिकी अधिकारी ने प्राथमिकी क्यों नहीं लिखाई? खुद तहकीकात क्यों नहीं की? मुजफ्फरनगर में मल्हूपुरा में चांदपुर वाले शान्ति स्वरूप का बाग था, कच्ची सड़क पर कैप्टन एन.डी त्यागी तथा मलपुरा वाले त्यागी परिवारों के बाग थे, लाल केवलराम का बाग था। रामबाग रोड और बागजान की दास मौहल्ले हैं, बाग नदारत हैं। प्रमुख वकील बाबू तेजेंद्र कुमार, बाबु बलवन्त सिंह के बाग कुछ दशकों पहले तक मौजूद थे।
कच्ची सड़क पर सरवट पीर से आगे रेलवे फाटक और उसके बाद सिसौना जाने वाली सड़क पर दोनों ओर बड़े-बड़े पेड़ थे, कहां चले गये? मुजफ्फरनगर से रुड़की व सहारनपुर और बुढ़ाना, शाहपुर, कांधला जाने वाली सड़कों पर जामुन, जमूए के तथा अन्य प्रकार के छायादार वृक्ष थे। नहरों, रजबहों के किनारे वृक्षों की भरमार थी।
यह उस शहर, उस जिले, उस राज्य व उस देश की स्थिति है जहां के आदिगंथ वृक्षों की महानता से भरे पड़े हैं। जहां भगवान कृष्ण कहते हैं- वृक्षों में मैं पीपल हूं।
वायूनां शोधकाः वृक्षाः रोगाणां पहारकाः।
तस्माद् रोपणमेतेषां रक्षणं च हितावहम्।।
वृक्ष वायु को स्वच्छ करते हैं, बीमारियों को दूर करते हैं अतः वृक्षों को लगाना और उनकी रक्षा करना सभी के लिए लाभप्रद है।
वृक्षों की रक्षा कौन करेगा? वन विभाग या सामाजिक वानिकी विभाग वाले अथवा पौधा रोपण के फोटो खिंचवाने वाले? जो आज तक वृक्षों की रक्षा करते आये हैं, वे ही अब भी रक्षा करेंगे बशर्ते सरकार वन माफियाओं, लकड़ी माफियाओं और भ्रष्ट कर्मचारियों से वृक्षों को बचाने का उपाय करे। केन्द्र व राज्यों को वृक्ष संरक्षण करने वालों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करना चाहिए। जातिगणना के साथ वृद्ध, पौधा गणना भी होनी चाहिए।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’