मुजफ्फरनगर के सनातन धर्म महाविद्यालय के संस्कृत संकाय के सेवानिवृत विभागाध्यक्ष डॉ. उमाकांत शुक्ल बृहस्पतिवार को अनन्त यात्रा पर चले गये। उन के अपनत्व, समाज एवं प्रियजनों से लगाव, शिक्षा जगत तथा साहित्य व साहित्यकारों के प्रति सेवा-समर्पणभाव, और सबसे अधिक भारतीय संस्कृति के साकार प्रतिमान के रूप में उन्हें देखते हुए मैं उनके प्रति निधन अथवा मृत्यु जैसे शब्द लिखने से विचलित हो रहा हूं, तथापि जीवन-मृत्यु तो शाश्वत सरल है और सृष्टि का प्रथम आधार है।
सेवा निवृति के पश्चात प्रायः लोग निष्क्रिय बैठ जाते हैं या समाज से अलग-थलग हो जाते हैं। डॉ. साहब के साथ ऐसा नहीं था। उनका एक व्यापक सम्पर्क क्षेत्र था जिसमें वे शिक्षक, मार्गदर्शक, अभिभावक और मित्र के रूप में सदा सक्रिय रहते थे। मेरा शुक्ल जी से कभी सीधा सम्पर्क या संवाद नहीं हुआ किन्तु फेसबुक पर प्रतिदिन उनके द्वारा पोस्ट किये जाने वाले प्रेरणास्पद श्लोकों व स्व-रचित दोहे या पद पढ़ता रहा। वे भी ‘देहात’ में प्रकाशित मेरे द्वारा लिखित संपादकीय टिप्पणियां पढ़ते थे और एक दो पर उन्होंने अपने विचार भी व्यक्त किये।
एस.डी.कॉलेज में इंग्लिश के विभागाध्यक्ष श्री जे. पी. सविता जी से मेरा पांच दशकों से स्नेह संबंध है। बातचीत में डा. उमाकांत शुक्ल जी का सन्दर्भ आ जाता था। मैं कभी सनातन धर्म कॉलेज का छात्र नहीं रहा किन्तु डॉ. विश्वनाथ मिश्र, जगदीश वाजपेयी एवं डॉ. के.सी. गुप्ता जी से ठीक सा परिचय था, बस यही ममाल रहेगा कि डॉ. शुक्ल जी जैसे ‘सम्पूर्ण’ मानुष से निकट सम्पर्क न हो पाया, तथापि मैं उनके विराट व्यक्तित्व से पूर्ण परिचित रहा।
गत वर्ष, यानी 4 अगस्त, 2024 को मेरे प्रिय, डॉ. ए. कीर्तिवर्द्धन की तीन पुस्तकों का विमोचन कार्यक्रम श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के सभागार में संपन्न हुआ था। इस अनूठे और घंटों तक चलने वाले कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. उमाकांत शुक्ल जी ने की थी। कार्यक्रम में अनेक लब्ध प्रतिशिष्ट साहित्यकार, कवि एवं प्रबुद्धजन अपने निजी कार्यक्रम की भांति सम्मिलित रहे और डॉ. कीर्तिवर्द्धन जी द्वारा रचित पुस्तकों- मेरे आराध्य राम, मेरी लोकप्रिय कविताएं तथा सतरंगी कविताओं की सारगर्भित मीमांषा की।
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. उमाकांत शुक्ल ने डॉ. कीर्तिवर्द्धन जी के व्यक्तित्व व कृतित्व की व्याख्या करते हुए ‘कविता’ के मूलभाव का विद्धतापूर्ण विश्लेषण किया जिसे मैंने तब देहात’ में प्रकाशित किया था।
11 दिसंबर, 2024 को उनके पटेलनगर, नई मंडी स्थित निवास ‘ब्रह्मानंद नीडम’ में उनके दर्शन व सामीप्य का सौभाग्य मिला। दरअसल उस दिन कविरत्न रामजीलाल कपिल सम्मान समिति की ओर से साहित्यकार श्रीमती अर्चना चतुर्वेदी का सम्मान समारोह था। डॉ. शुक्ल इस समिति के सचिव थे। उन्होंने बड़े स्नेह से अभ्यागतों का स्वागत किया और प्रति प्रेमपूर्वक आगंतुकों के नाश्ते-भोजन की व्यवस्था की। अर्चना चतुर्वेदी जी के साहित्य सूजन पर विस्तार से चर्चा की।
वस्तुतः मुजफ्फरनगर के कविरत्न रामजी लाल कपिल (पटवारी जी) अद्भुत कवि हुए जो 9 रसों में कविता की रचना और प्रस्तुतिकरण की विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। मुझे उनके कविता पाठ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके सुपुत्र किशोरी लाल शर्मा कपिल मेरे श्रद्धेय गुरु थे, जिनने मुझे प्रिंटिंग प्रेस का काम सिखाया था।
सम्मान समिति के सचिव के रूप में डॉ. उमाकांत शुक्ल देश के प्रमुख साहित्यकार श्रीराम शरण शर्मा, प्रोफेसर वागीश दिनकर, कौशल कुमार, योगेन्द्रदत्त शर्मा, डॉ. अशोक मैत्रेय, किशन स्वरूप एवं श्रीमती सुशीला जोशी के सम्मान में अग्रणी भूमिका निभाते रहे।
डॉ. उमाकांत शक्ल के जाने से शिक्षा एवं साहित्य जगत में शून्यता पैदा हुई है। मेरा और ‘देहात’ परिवार श्रध्दावनत हो उनको प्रणाम करता है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’