बुढ़ाना में लिंचिंग !

मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना कस्बे में रविवार को मोनू नामक द‌लित युवक की मुस्लिम बस्ती में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। चोर-चोर चिल्ला कर भीड़ ने उसे इस बर्बरता से पीटा कि बाद में मोनू खटीक की मौत हो गई। बुढ़ाना पुलिस ने कुछ हमलावरों को गिरफ्तार किया है और जांच करने की बात कही हैं।

बिना जांच-पड़‌ताल और कागजी कार्रवाई के पुलिस कुछ नहीं करती और कानूनन यह ठीक भी है। जांच होनी चाहिये और सच्चाई, निष्पक्षता से होनी चाहिये। स्पष्ट रूप से यह हत्या का मामला है। चोर-चोर चिल्लाना तो एक बहाना है। हमलावर उसे पहचान चुके थे और मोनू खटीक पर प्रहार करते हुए उसे जा‌तिगत गालि‌यां भी दे रहे थे। इसलिए इस मामले में कोई बहानेबाजी या ढील नहीं होनी चाहिये। अफसोस है कि प्रायः अभियोजन की कार्यवाही तथा जवाबदेही से बचने के लिए पुलिस केस में खामियां छोड़ देती है। मोनू खटीक के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिये।

अतीत में मुजफ्फरनगर में हमले व मारपीट तथा उत्पीड़न की कई घटनायें हुई है। बुढ़ाना में ही एक हिन्दू महिला के मकान की दीवार का बहाना बनाकर उसका उत्पीड़न हुआ था। मुजफ्फरनगर के मुस्लिम बहुल ग्राम सूजडू में एक हिन्दू ग्रामवासी के मकान पर ताला डाल दिया गया था। मल्हूपुरा में दो बहिनों पर इस लिए हमला हुआ कि उन्होंने गोवर्धन पर्व पर मकान के चबूतरे पर गोवर्धन पूजा की थी। इसी मल्हूपुरा में एक हिन्दू मिठाई विक्रेता को इस लिए मारा-पीटा गया कि उसने माथे पर तिलक लगाया हुआ था। सावदीपुर में एक हिन्दू के मकान के पीछे से ईंटें फेंकी गई। ये चंद उदाहरण हैं जिनकी पुलिस को सूचना है। गिरफ्तारी के चन्द दिनों बाद जमानत पर रिहाई होना स्वाभिक कानूनी प्रक्रिया बन चुकी है।

मोनू खटीक की हत्या पर केवल स्वामी यशवीर जी ने संज्ञान लिया। मुजफ्फरनगर के दोनों मंत्रियों को पीड़ित परिजनों से मिलना चाहिए था। मोनू खटीक के हत्यारों को दण्ड दिलाने के लिए इन्हें प्रयत्नशील होना चाहिए। पीडीए वाले नेताओं को क्या पड़ी कि वे मोनू खटीक के परिवार को न्याय दिलाने की कोशिश करें क्योंकि हत्यारे व मारने वाले उसी पीडीए की जाति-संप्रदाय के हैं, जिनके वोट उन्हें 2027 के चुनाव में चाहिए।

छपते छपते: राज्यमंत्री कपिल देव ने बुढ़ाना पहुंचकर हत्याकांड की जानकारी ली और लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस संबंध में जानकारियां दी व कठोर कार्यवाही की मांग की है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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