बहुत दिनों बाद एक बहुत अच्छी ख़बर पढ़ने और सुनने को मिली। फिल्म अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी जो मुजफ्फरनगर के कस्बा बुढ़ाना के निवासी हैं, ने फिल्मनगरी मुंबई से अपने वतन आकर जिले में पांच हजार नीम के वृक्ष रोपने का संकल्प लिया है गत रविवार को उन्होंने ग्राम सफीपुर पहुंचकर अपने खेत में नीम का पौधा रोपा जिसकी तस्वीरें अखबारों में छपी है। उन्होंने कहा है कि वे अपने खेत की मेढों पर, पुलिस थाना व तहसील परिसर तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पांच हजार नीम के पौधे लगाएंगे और लगवायेंगे।

उनका यह संकल्प नौजवान पीढ़ी को सार्थक सन्देश देने वाला है। बस यह आशा और कामना है कि वृक्ष लगाने का उनका फोटो सेशन नेताओं जैसा सिद्ध न हो जो वन महोत्सव पर पौधा रोपण का फोटो खिंचवाने के बाद यह नहीं देखते कि रोपा गया पौधा बढ़ भी रहा है या सूख चुका है।

हम नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के प्रयास की मुक्तकंठ से सराहना करते हैं कि पौधारोपण के लिए उन्होंने नीम को चुना। कोरोनाकाल में अचानक लोगों को नीम की याद आई। आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपने पुराने सरोकारों को भुला बैठे हैं। यहां तक कि नीम जैसे उपयोगी वृक्ष के महत्व की ओर से आँखें बंद कर लीं। मरहूम शायर निदा फ़ाज़ली का एक शेर अचानक याद आ गया:
"सुना है अपने गांव में रहा न अब वह नीम
जिसके आगे मांद थे सारे बैद-हकीम"

नवाज़ुद्दीन अपने फन से फिल्मी दुनिया में मुजफ्फरनगर ज़िले का नाम रोशन कर रहें हैं, पर्यावरण संरक्षण में उनका यह क़दम देश के नौजवानों को प्रेरणा दे, इस कामना के साथ उन्हें हमारी कोटिश बधाइयां।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात