सोशल मीडिया, उर्वरक समस्या पर उठाये सवाल !

लोकसभा शून्यकाल में आदिवासियों के विस्थापन, सोशल मीडिया, उर्वरक, ड्रग, रेल एवं सड़क परिवहन तथा स्कूलों के बन्द होने संबंधी मामलों को शांतिपूर्ण वातावरण में उठाया गया।

निशिकांत दुबे ने बताया कि झारखंड में योजना बना कर आदिवासियों को खत्म किया जा रहा है। वहां आदिवासियों की जनसंख्या 52 प्रतिशत से घट कर 27 प्रतिशत रह गई है। घुसपैठिये रोहिंग्या आदिवासी महिलाओं से विवाह धर्मान्तरण करा कर डेमोग्राफी बदल रहे हैं।

विजय बघेल (दुर्ग) ने 3 आदिवासी लड़‌कियों का अपहरण कर स्टेशन पर अपहृत करने के मामले पर कहा कि कांग्रेस इस पर भ्रम फैला रही है।

चन्दन चौहान (बिजनौर) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सदुपयोग एवं दुरुपयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि सोशल मीडिया समाज में विघटन, तनाव, भ्रम फैलाने का माध्यम बनता जा रहा है। इसको रोका जाना चाहिए। हरेन्द्र मलिक (मुजफ्फरनगर) ने कहा पोटाश उर्वरक में पोटाश की मात्रा घटा‌ये जाने से किसान को एक के बजाय दो बोरे उवर्रक खरीदना पड़ता है। किसान पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। घोसी से सपा के सांसद राजीव राय, रुचि वीरा ने शालीनता से जनता से जुड़ी समस्याओं को उठाया। इसी प्रकार शिवपाल रावत (हरदोई) ने शांति से अपनी बातें रखीं। उम्मेदा राम बेनीवाल ने नदियों में प्रदूषित रासायनिक पदार्थ डाले जाने की समस्या उठाई। डॉ. धर्मवीर गांधी (पटियाला) ने स्थानीय नदी को प्रदूषण मुक्त करने का सुझाव दिया। रवि किशन ने कहा समोसे जैसे खाने का मूल्य, आकार अलग अलग है। ढाबों के खाद्य पदार्थों के मूल्य तथा गुणवत्ता का कानून बनाने की मांग की। बागपत से रालोद सांसद राजकुमार सांगवान ने कहा कि हिंडन, काली, कृष्णा नदी इतनी साफ थीं कि उनमें गिरा सिक्का लोग नदी से निकाल लेते थे। इन नदि‌यों को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए नदियों के किनारे लगी फैक्ट्रियों के लिए प्रयास हों। आनंद भदौरिया ने उर्वरकों की कालाबाजारी का मुद्दा उठाया। आलोक शर्मा ने भोपाल के बड़े तालाब का मुद्दा उठाया। राजेश मिश्रा ने निराश्रित गोवंश की रक्षा की मांग रखी।

सांसदों ने जनहित से जुड़े सैकड़ों मुद्दों को उठाया, इनमें देश की सुरक्षा, ड्रग तस्करी और युवाओं में नशे की आदत छुड़ाने जैसे प्रश्न उठे। पीठासीन अधिकारी संध्या राय एवं दिलीप सैकिया ने बिना व्यवधान, शोरशराबा, हंगामा, नारेबाजी के सदन का संचालन किया।

आज की शांतिपूर्ण कार्रवाई से सिद्ध है कि यदि कुछ विशेष विपक्षी नेता अड़ंगा न डालें तो संसद सुचारू रूप से चल सकता है और जनता द्वारा चुने सभी राजनीतिक दलों के सांसद जनता के हितों से जुड़े मुद्दे शिद्दत के साथ उठा सकते हैं। सदन में केवल एक बार पीठासीन अधिकारी को टोकने की नौबत आई जब नगीना साँसद चन्द्रशेखर ने उत्तरप्रदेश के विद्यालयों के समायोजन पर सड़‌कों पर उतरने की चेतावनी दी।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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