आचार्य विनोबा की याद

यह एक संयोग है कि आज भारत के भूमिहीन किसानों को स्वेच्छा से 44 लाख एकड़ भूमि दिलाने वाले आचार्य विनोबा भावे का जन्मदिन है जो आज के ही दिन 1895 में महाराष्ट्र के गांव गागोदेपेन में पैदा हुए थे। विनोबा जी ने पैदल ही 58741 किलोमीटर की यात्रा कर परसेवा का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

आज उनके महान ऐतिहासिक कार्य को देश भूल सा गया प्रतीत होता है। दूसरी ओर मीडिया आज राहुल गाँधी के 3500 किलोमीटर के भारत जोड़ो की महा कवरेज में व्यस्त है, जबकि यह विशुद्ध रूप से राहुल को प्रस्थापित करने का एक और प्रयास है। खैर, यह याद दिला दें कि न तो महात्मा गाँधी ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा और न ही विनोबा भावे ने भूदान यज्ञ यात्रा वातानुकूलित कंटेनरों में बैठ कर की थी।

समय बदल गया है। यात्राओं के साधन व तरीके तथा उद्देश्य भी बदल गए हैं। गाँधी व विनोबा जिस मकसद को लेकर चले थे, उसमें कोई द्वंद्व न था। देखना है राहुल इस यात्रा से किस लक्ष्य को हासिल करते हैं।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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