बिजली चोरों का दुस्साहस


22 नवंबर: मुजफ्फर‌नगर के न्याजूपुरा (जो गांव भी है और शहर का एक मौहल्ला भी कहलाता है) में विद्युत विभाग के जूनियर इंजीनियर मंगलराम तथा अन्य विभागीय कर्मचारियों की बिजली चोरों ने बिना किसी खौफ़ व हिचक के बुरी तरह पिटाई कर दी। बिजली चोरी रंगे हाथ पकड़े जाने पर उपभोक्ता ने अपने समर्थकों को बुला लिया जो मिमलाना उप विद्युत केन्द्र के कर्मचारियों पर टूट पड़े, इस अचानक हुए हमले से घबराकर बिजली कर्मचारियों के समक्ष वहां से जान बचा कर भागने के अलावा कोई और विकल्प न था।

बिजली चोर व उसके समर्थकों के हमले से बुरी तरह घायल कर्मचारियों ने मिमलाना रोड बिजली घर पर विरोध स्वरूप ताला लगा दिया। चोटिल कर्मचारियों ने जिला अस्पताल में अपना मेडिकल चैकअप कराने के बाद नामज़द रपट भी दर्ज करा दी है। चूंकि अधीक्षण अभियंता (नगर) ए.के. अग्रवाल और सीओ सिटी राम आशीष यादव समस्त घटनाक्रम से अवगत हैं, इसलिए यह निश्चित है कि वे हमलावरों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लायेंगे।
इस प्रकरण को दृष्टिगत रख कुछ बिंदु ऐसे हैं जिन पर राज्य मुख्यालय या राज्य सरकार ‌को ही निर्णय लेना पड़ेगा। इस प्रकार के हमलों से वोटबैक की राजनीति भी चलती है अत: इस पहलू से भी यह प्रश्न विचारणीय है।

यक्ष प्रश्न यह है कि जब शहर के अधिसंख्य बिजली उपभोक्ता समय पर बिलों का भुगतान करते हैं, कटिया डाल कर बिजली नहीं चुराते तो मुज़फ्फरनगर शहर के कुछ विशेष मौहोल्लों में ही ओवर‌लोडिंग या बिजली चोरी की घटनायें क्यूं होती है? इन मौहोल्लों में और जिले के कुछ निश्चित ग्रामीण क्षेत्रों में ही बिजली चोरी तथा कर्मचारियों के उपर हमलों की घटनायें क्यूँ होती हैं?

मुजफ्फरनगर जिले तथा पश्चिमी उत्तरप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में कुछ खास नेता बिजली मीटर उखाड़ने की अपील करते आ रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों को प्रताड़ित करने की अनेक घटनायें हुई हैं। मुस्लिम बहुल ग्राम सूजडू में एक विधायक ने विद्युत चोरी रोकने वाले जूनियर इंजीनियर को खुलेआम धमकाया था। इसी इलाके में बिजली चोरी रोकने का अभियान चलाने वाले अभियंता व विद्युत कर्मचारियो पर कुछ वर्ष पूर्व हमला बोल दिया गया था। सपा सरकार के दौरान हुए इस कांड के बाद अधिशासी अभियंता का स्थानान्तरण कर दिया गया था और हमलावरों के विरुद्ध आज तक भी कार्यवाही नहीं हुई। इस प्रकार ‌को वारदातें केवल मुजफ्फरनगर ‌में ही नही बल्कि, पूरे प्रदेश में होती हैं, अतः मुख्यमंत्री जी को ही कदम उठाना पड़ेगा।

गोविन्द वर्मा

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