मुंबई। हिंदी फिल्म उद्योग की प्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं और मुंबई के नानावटी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आने के बाद पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर है। संगीत और सिनेमा दोनों ही क्षेत्रों में उनके योगदान को लोग आज भी याद करते हैं।

संगीत से मिली पहचान
1954 में जन्मी सुलक्षणा पंडित का ताल्लुक एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार से था। वे महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की भतीजी थीं। उनके भाई जतीन–ललित की जोड़ी ने 90 के दशक में हिंदी फिल्म संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सुलक्षणा ने महज नौ साल की उम्र में गायन की शुरुआत की और 1967 में फिल्मों में बतौर पार्श्वगायिका कदम रखा।

1975 में फिल्म ‘संकल्प’ के मशहूर गीत “तू ही सागर है तू ही किनारा” के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी आवाज में एक अलग मिठास थी जिसने उन्हें दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए जगह दिलाई।

अभिनय में भी छोड़ी छाप
सुलक्षणा ने केवल गायिकी ही नहीं, बल्कि अभिनय के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1970 और 80 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘उलझन’ (1975) और ‘संकोच’ (1976) प्रमुख रहीं। उन्होंने संजीव कुमार, शशि कपूर और जितेंद्र जैसे अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा की।

निजी जीवन की चुनौतियाँ
सुलक्षणा पंडित ने जीवनभर विवाह नहीं किया। अभिनेता संजीव कुमार से उनकी गहरी मित्रता और अधूरी प्रेमकहानी अक्सर चर्चाओं में रही। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे स्वास्थ्य और आर्थिक परेशानियों से भी जूझती रहीं।

उनके निधन से फिल्म और संगीत जगत ने एक ऐसी कलाकार को खो दिया है जिसकी आवाज और संवेदनशील अभिनय ने पीढ़ियों को प्रभावित किया। सुलक्षणा पंडित की यादें और उनका संगीत आने वाले वर्षों तक अमर रहेंगे।