तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद से नरम दिख रहे किसानों के तेवर शनिवार को फिर से बदल गए हैं। हरियाणा के सोनीपत जिले में कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के दौरान बाहर मौजूद अलग-अलग संगठनों के किसानों ने खुद को बेड़ियों में बांध लिया और हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों ने दो टूक कहा कि एमएमपी पर कमेटी का गठन उन्हें स्वीकार नहीं है। सरकार अब सीधे तौर पर एमएसपी गारंटी कानून बनाए, तभी किसान यहां से वापस जाएंगें। किसानों ने साफ कहा कि 70 सालों से किसानों को बंदी की तरह रखा जा रहा है। यही कारण है कि उन्होंने सरकार को चेताने के लिए खुद को बेड़ियों में बांध रखा है।
कुंडली बॉर्डर पर अंबाला से पहुंचे किसान नरेश सारवन ने कहा कि जब किसान दिल्ली की सीमाओं पर भी नहीं पहुंचे थे तभी से उनकी अहम मांगों में एमएसपी गारंटी कानून भी शामिल था। सभी किसान नेताओं ने हर बार मुख्य मंचों से कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के साथ ही एमएसपी देने की मांग की है। इसे लेकर अब कमेटी के गठन से सरकार किसानों को टालना चाहती है। कमेटी का सीधा अर्थ है कि सरकार मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कानून काले बादल थे, जो छंट गए लेकिन एमएसपी गारंटी कानून के बिना वापस नहीं जाएंगे
राजस्थान के झुंझनू से पहुंचे कैलाश कुमार ने कहा कि किसान को आज तक कुछ नहीं मिला है। कानून काले बादल थे, जो छंट गए लेकिन अब एमएसपी गारंटी कानून के बिना वह वापस नहीं जाएंगें। बेड़ियों में बंधे किसान ने कहा कि जब तक एमएसपी कानून नहीं बनेगा, वह इसी तरह बेड़ियों में जकड़े रहेंगे। सही मायने में किसान तभी मुक्त होंगे जब उन्हें एमएसपी का गारंटी कानून मिलेगा। किसान सुभाष चंद्र ने सरकार व नेताओं को चेतावनी दी कि जत्थेबंदियां या नेता बनते-बिगड़ते रहते हैं, लेकिन किसान था, है और रहेगा। एमएसपी कानून लिए बिना वह नहीं जाएंगे। खेत नहीं बिकने देंगे। किसानों को दबाया नहीं जा सकता, किसान अब जागरूक हो चुका है। उन्होंने कहा कि जंजीर बांधकर हम सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं।