26 जनवरी को दिल्ली में होगी किसान ट्रैक्टर परेड, मांगें नहीं माने जाने पर किसान संगठनों का ऐलान

किसान आंदोलन का आज 46वां दिन है. किसान संगठनों और सरकार के बीच 8वें राउंड की मीटिंग भी बेनतीजा रहने के बाद किसानों का आंदोलन जारी है. अब अगली मीटिंग 15 जनवरी को होनी है.

मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों का आंदोलन आज 38वें दिन में प्रवेश कर गया। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। अब 4 जनवरी को एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत होनी है। लेकिन इस वार्ता से पहले किसानों ने साफ कर दिया है कि इस वार्ता में उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में घुसकर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।

सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि 4 जनवरी को सरकार से बातचीत होनी है। फिर 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों पर सुनवाई होनी है। अगर बात नहीं बनी तो किसानों का आंदोलन तेज होगा। 6 जनवरी से पूरे देश में विरोध-प्रदर्शनों का दौर शुरू होगा और उसके बाद 26 जनवरी के दिन किसान दिल्ली में अपने ट्रैक्टरों के साथ परेड करेंगे।

स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर 25 जनवरी तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो किसान दिल्ली में घुसकर गणतंत्र परेड करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने देश भर के किसानों से अपने ट्रैक्टर तैयार रखने का आह्वान करते हुए 25 जनवरी तक दिल्ली पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आजाद हिंद किसान दिवस मनाएंगे और सभी राज्यों में राजभवन के बाहर धरने पर बैठेंगे।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा कि अगर अगली बातचीत में कोई हल नहीं निकलता तो 6 जनवरी को किसान पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। रिपब्लिक डे परेड की तरह केएमपी पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। फिर 6 जनवरी से 20 जनवरी तक 15 दिन बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ जनजागरण और भंडाफोड़ अभियान आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान कई बड़ी रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। दर्शनपाल ने कहा कि जब तक कानून वापस नहीं होते, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे।

वहीं किसान नेता बलवीर सिंह रजवाल ने कहा कि ये सरकार हठधर्मी पर उतर आई है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को ईगो प्रॉब्लम है, इसी कारण किसानों की बात नहीं सुनी जा रही है। किसान नेता रजवाल ने कहा कि ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान किसी न किसी नाके पर बैठे हैं। हर राज्य में किसान इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। लेकिन हम भी खेती का कॉर्पोरेटाइजेशन नहीं करने देंगे।

किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार एक कमेटी बना कर मसले को टालना चाहती है, लेकिन हम कमेटी नहीं चाहते। हमारी मांग है कि कानून लाइए कि एमएसपी से कम कीमत पर कोई खरीद न कर पाए। लेकिन सरकार कहती है कि इससे खजाने पर बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों के तीन लाख करोड़ एनपीए हो गए, लेकिन किसानों की बात आती है तो सरकार बहाना बनाती है।

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