काठमांडू। नेपाल सरकार द्वारा फेसबुक सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद करने के फैसले ने देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल बढ़ा दी है। विपक्षी दलों और कुछ सत्ताधारी नेताओं ने इस कदम को संविधान विरोधी, जनविरोधी और डिजिटल अधिकारों के उल्लंघन वाला बताया है।

पूर्व प्रधानमंत्री और माओवादी अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया के माध्यम से हो रही आलोचना को दबाने के लिए यह निर्णय ले रही है। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करार दिया। हालांकि, दहल के समय भी टिकटॉक को सामाजिक सद्भाव बिगड़ने के कारण बंद किया गया था।

राष्ट्रिय स्वतंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष और सांसद स्वर्णिम वाग्ले ने इसे अधिनायकवाद का संकेत बताते हुए कहा, “डिजिटल युग में सूचना के प्रवाह को रोकना सूर्य को हथेली से ढकने जैसा है। जनता का विरोध इस कदम को लागू नहीं होने देगा।”

पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाल समाजवादी पार्टी (नया शक्ति) के अध्यक्ष बाबुराम भट्टराई ने कहा कि कर भुगतान कर रही सोशल मीडिया कंपनियों को बंद करना गलत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इंटरनेट और एआई की सीमाओं को पार करते समय पुराने तरीके से रोकना उचित नहीं है।

सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस के नेता शेखर कोइराला ने भी निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना झेलने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है और इससे जनता की रोज़ी-रोटी प्रभावित हो सकती है। पार्टी के महामंत्री गगन थापा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल अनचाहे सामग्री के नियंत्रण के लिए कानूनी व्यवस्था बनाने को कहा था, बंद करने को नहीं।

इसी बीच, नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण के निर्देशन में फेसबुक सहित सूचीबद्ध 26 प्लेटफॉर्म का यूआरएल ब्लॉक करना शुरू कर दिया गया है। इंटरनेट सेवा प्रदाता संगठन आइस्पन के CEO सुभास खड्का ने बताया कि सरकारी निर्देशानुसार यह प्रक्रिया रात से जारी है और फिलहाल फेसबुक नेपाल में ब्राउज़र से नहीं खुल रहा है।