अमेरिका ने अगस्त महीने में भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले के पीछे रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात को प्रमुख कारण बताया गया है। अब यही सख्ती अमेरिका यूरोपीय यूनियन पर भी दिखा सकता है, जिसकी वजह भी रूस से उसके ऊर्जा संबंध हैं।
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से यूरोपीय देशों द्वारा रूसी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात लगातार बढ़ता जा रहा है। यह वृद्धि ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका, विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस पर दबाव बनाने के लिए उन देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने की बात कर रहे हैं जो रूस से ऊर्जा खरीद जारी रखे हुए हैं।
रूस से एलएनजी का आयात बढ़ा
रिपोर्ट बताती है कि 2022 से यूरोपीय यूनियन द्वारा रूसी एलएनजी के आयात में हर साल करीब 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि अन्य देशों से एलएनजी आयात में गिरावट आई है। वहीं, यूरोपीय संघ ने भारत स्थित नायरा एनर्जी रिफाइनरी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें रूस की रोसनेफ्ट कंपनी की 49.13% हिस्सेदारी है। ईयू का कहना है कि इससे होने वाला लाभ मास्को को युद्ध में मदद पहुंचा रहा है।
2024 में रिकॉर्ड आयात
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में यूरोपीय यूनियन ने रूसी एलएनजी के लिए लगभग 8.5 अरब डॉलर का भुगतान किया। रूस से एलएनजी की कुल आपूर्ति 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गई, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के आंकड़े से भी अधिक है। युद्ध शुरू होने के बाद से ईयू ने कुल 212 अरब यूरो से अधिक की राशि रूस से ऊर्जा आयात पर खर्च की है।
भारत से अधिक व्यापार
2024 में यूरोपीय यूनियन और रूस के बीच वस्तु व्यापार का आंकड़ा करीब 67.5 अरब यूरो तक पहुंच गया, जबकि सेवा व्यापार भी 17.2 अरब यूरो के आसपास रहा। यह भारत और रूस के बीच व्यापार की तुलना में काफी अधिक है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, ईयू-रूस व्यापार में ऊर्जा के अलावा उर्वरक, खनिज, रसायन, इस्पात, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरण भी शामिल हैं।