अमेरिका के विशेष दूत टॉम बैरक ने कहा है कि उनकी टीम इस्राइल के साथ दीर्घकालिक संघर्षविराम पर बातचीत करेगी। यह पहल उस समय सामने आई है जब लेबनान ने हिजबुल्ला को हथियार छोड़ने से जुड़ी अमेरिकी समर्थित योजना को मंजूरी दी है। बैरक ने राष्ट्रपति जोसेफ औन से मुलाकात के बाद स्पष्ट किया कि अब ध्यान युद्ध के बाद देश के आर्थिक पुनर्निर्माण पर केंद्रित होगा।
बैरक के मुताबिक लेबनानी सरकार ने अपनी ओर से आवश्यक कदम पूरे कर लिए हैं, अब इस्राइल को भी आगे आना होगा। हालांकि, हिजबुल्ला और उसके समर्थक समूहों ने इस पहल का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस्राइल को पहले दक्षिण लेबनान के कब्जाए गए पांच पहाड़ी इलाकों से पीछे हटना चाहिए और लगातार हो रहे हवाई हमले बंद करने होंगे। हिजबुल्ला प्रमुख नैम कासेम ने हथियार त्यागने की योजना का विरोध करते हुए गृहयुद्ध की आशंका जताई है।
लेबनानी सरकार की तैयारी
राष्ट्रपति औन और प्रधानमंत्री नवाफ सलाम गैर-राज्य सशस्त्र गुटों को निशस्त्रीकरण कराने के पक्षधर हैं। उन्होंने इस्राइल से हमले रोकने और अपने सैनिक हटाने की मांग रखी है। सरकार ने सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय दाताओं से मदद लेकर पुनर्निर्माण को तेज करने की योजना भी बनाई गई है।
युद्ध और आर्थिक संकट की दोहरी मार
विश्व बैंक के आकलन के अनुसार, 2024 में इस्राइल-हिजबुल्ला युद्ध से लेबनान को लगभग 11.1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। देश के दक्षिण और पूर्वी क्षेत्रों में भारी तबाही मची, वहीं 2019 से जारी आर्थिक मंदी ने हालात और खराब कर दिए। युद्ध और संकट ने आम नागरिकों की जिंदगी को बेहद कठिन बना दिया है, जिससे तत्काल राहत और स्थिरता की जरूरत है।
अमेरिका की भूमिका और आगे की रणनीति
बैरक ने हिजबुल्ला को चेताया कि यदि वह निशस्त्रीकरण की पहल का समर्थन नहीं करता तो यह अवसर खो देगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका लेबनान में स्थायी शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक सहयोग की योजना पर विचार कर रहा है। इसके लिए इस्राइल के साथ समन्वय कर संघर्षविराम लागू करने की रणनीति बनाई जाएगी। बैरक जल्द ही प्रधानमंत्री सलाम और स्पीकर नबिह बेरी से भी मुलाकात करेंगे, जो हिजबुल्ला की ओर से वार्ताओं में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्थायी शांति की उम्मीद
लेबनान सरकार का लक्ष्य देश में शांति बहाल करना और गैर-राज्य सशस्त्र गुटों को नियंत्रित करना है। उम्मीद जताई जा रही है कि हथियार छोड़ने और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया से न केवल नागरिकों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक हालात भी सुधरेंगे। यदि इस्राइल और हिजबुल्ला सहयोग करें, तो क्षेत्र में लंबे समय तक स्थायी शांति की संभावना मजबूत होगी।