अमेरिका के वरिष्ठ पत्रकार रिक सांचेज ने भारत पर टैरिफ थोपने की नीति को लेकर अपनी ही सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को न भारत के इतिहास की समझ है और न ही उसकी वैश्विक अहमियत का अंदाजा। यही कारण है कि वहां की सरकार बिना दूरगामी सोच के फैसले ले रही है।
‘ट्रंप टीम को नहीं है भारत और वैश्विक दक्षिण की समझ’
एएनआई से बातचीत में सांचेज ने ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की आलोचना करते हुए कहा कि जब वे यूक्रेन युद्ध को मोदी का युद्ध बताते हैं तो यह उनकी अज्ञानता को ही दर्शाता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नवारो न तो गहन विचारक हैं और न ही किसी बड़े बौद्धिक स्तर के व्यक्ति।
सांचेज का कहना था कि अमेरिका में ग्लोबल साउथ की समझ बेहद सीमित है। ट्रंप प्रशासन न तो भारत-चीन संबंधों को सही ढंग से जानता है और न ही रूस-यूक्रेन की जटिलताओं को। यही कारण है कि अक्सर वहां से गैर-जिम्मेदार बयान आते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप पर नव-रूढ़िवादी और हथियार उद्योग से जुड़े लोग प्रभाव डाल रहे हैं, हालांकि ट्रंप को अब महसूस हो रहा है कि उनकी नीति गलत दिशा में जा रही है। इसीलिए वे ग्लोबल साउथ और यूरोपीय संघ दोनों को बराबरी का महत्व देने और संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत को ‘छोटा खिलाड़ी’ समझना भूल है
भारत से तेल खरीद को लेकर टैरिफ लगाने के कदम को सांचेज ने अहंकारी बताते हुए कहा कि यह भारत के साथ ऐसे व्यवहार करने जैसा है, मानो वह कोई स्कूली बच्चा हो। जबकि सच्चाई यह है कि भारत न केवल बड़ी ताकत है, बल्कि उसके पास समृद्ध इतिहास, संसाधन और व्यापक क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि विश्व इतिहास में भारत का योगदान यूरोप और मेसोपोटामिया जैसी प्राचीन सभ्यताओं से किसी भी तरह कम नहीं रहा है।
सांचेज ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका भारत को छोटा समझता रहा, तो भारत साफ संदेश देगा कि उसे आदेश देना स्वीकार नहीं है। उनके मुताबिक मौजूदा समय वैश्विक राजनीति का निर्णायक दौर है। आने वाले सालों में जब इतिहास लिखा जाएगा तो यह वह क्षण माना जाएगा, जब अमेरिका का दबदबा घटने और शक्ति संतुलन ग्लोबल साउथ की ओर—भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों के पक्ष में—स्थानांतरित होने लगा।