ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की राजनीतिक पार्टियों को अपनी ‘लोकतांत्रिक सुधार योजना’ पर सहमति बनाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि इस अवधि में एकजुट रुख नहीं अपनाया गया, तो प्रशासन को एकतरफा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

अंतरिम प्रधानमंत्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने कहा कि विद्रोह के बाद सत्ता संभालते समय उन्हें एक बिखरी हुई और कमजोर राजनीतिक व्यवस्था विरासत में मिली थी। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार का ‘सुधार चार्टर’ बांग्लादेश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने और सत्तावाद की वापसी रोकने की दिशा में अहम कदम है।

जनमत संग्रह को लेकर मतभेद

अक्टूबर में आयोजित एक समारोह के दौरान अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस सुधार चार्टर पर हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने वाले छात्रों से बनी नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने अब तक दस्तखत नहीं किए हैं।
कई राजनीतिक दलों का मानना है कि चार्टर को अंतिम रूप देने से पहले उस पर जनमत संग्रह (Referendum) कराया जाना चाहिए।

इस दस्तावेज़ में प्रधानमंत्री के कार्यकाल की अधिकतम सीमा दो बार तय करने और राष्ट्रपति की शक्तियों में वृद्धि जैसे प्रावधान शामिल हैं। यूनुस के अनुसार, यह बदलाव कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच बेहतर ‘Checks and Balances’ स्थापित करेगा।

सरकार की सख्त चेतावनी

अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने कहा कि “काफी समय से बातचीत के बावजूद दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। यदि एक सप्ताह के भीतर जनमत संग्रह के मुद्दे पर आम सहमति नहीं हुई, तो सरकार स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ेगी।”

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति में यह सुधार प्रक्रिया देश के लोकतांत्रिक भविष्य की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।