गाज़ा सिटी / तेल अवीव। इस्राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष विराम समझौते के पहले चरण में बंधकों और कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया जारी है, हालांकि माहौल अब भी तनावपूर्ण बना हुआ है। इसी क्रम में शुक्रवार को गाज़ा के अस्पताल अधिकारियों ने बताया कि इस्राइल ने 30 फ़िलिस्तीनियों के शव गाज़ा को सौंप दिए हैं। यह कदम उस एक दिन बाद आया जब हमास ने दो इस्राइली बंधकों के अवशेष रेड क्रॉस के ज़रिए इस्राइल को लौटाए थे।
इस्राइली सेना के अनुसार, गुरुवार को हमास ने मृत बंधकों के अवशेषों से भरे दो ताबूत रेड क्रॉस को सौंपे थे, जिन्हें बाद में इस्राइली सैनिकों ने पहचान प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक संस्थान भेजा।
दो इस्राइली बंधकों की हुई पहचान
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने गुरुवार देर रात पुष्टि की कि लौटाए गए अवशेष सहर बारूक और अमीरम कूपर के हैं। दोनों को 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के दौरान अगवा किया गया था। उस हमले के बाद से ही गाज़ा और इस्राइल के बीच सबसे भीषण संघर्ष शुरू हुआ था।
25 वर्षीय सहर बारूक किबुत्ज बेरी के निवासी थे और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने वाले थे। वहीं, 84 वर्षीय अमीरम कूपर किबुत्ज़ निर ओज़ के संस्थापकों में से एक थे और पेशे से अर्थशास्त्री थे। उन्हें उनकी पत्नी नूरित के साथ अगवा किया गया था। नूरित को 17 दिन बाद रिहा कर दिया गया था, जबकि जून 2024 में इस्राइली अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि अमीरम की हत्या गाज़ा में कर दी गई थी।
17 बंधकों के अवशेष लौटे, 11 की प्रतीक्षा
युद्धविराम के बाद से अब तक हमास 17 इस्राइली बंधकों के अवशेष लौटा चुका है, जबकि 11 और की अदला-बदली समझौते के तहत होनी बाकी है। इस्राइल ने हालांकि हमास पर “गलत शव” सौंपने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों पक्षों के बीच अविश्वास का माहौल फिर उभर आया है।
गाज़ा में शवों की पहचान में दिक्कतें
इसी बीच इस्राइल ने 195 फ़िलिस्तीनियों के शव गाज़ा के अधिकारियों को बिना पहचान संबंधी जानकारी दिए लौटा दिए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये शव 7 अक्टूबर के हमले में मारे गए लोगों के हैं या इस्राइली हिरासत में बंदी के दौरान मौत के शिकार हुए।
गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, डीएनए किट्स की कमी के चलते शवों की पहचान करना बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
संघर्ष विराम पर सस्पेंस कायम
10 अक्टूबर से लागू इस युद्धविराम का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच लंबे और विनाशकारी संघर्ष को समाप्त करना है। हालांकि शवों की अदला-बदली की प्रक्रिया और एक-दूसरे पर आरोपों के बीच शांति की दिशा में प्रगति अब भी अनिश्चित बनी हुई है।
 
                 
                 
                 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                     
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        