रियो डी जेनेरियो। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पुलिस ने ड्रग माफिया संगठन रेड कमांड के खिलाफ इतिहास का सबसे बड़ा अभियान छेड़ा है। मंगलवार सुबह शुरू हुए इस ऑपरेशन में करीब 2,500 पुलिसकर्मी शामिल रहे, जिन्होंने हेलीकॉप्टरों की मदद से शहर के कई इलाकों में एक साथ कार्रवाई की। इस दौरान 130 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें चार पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

स्थानीय निवासियों ने पुलिस पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगाते हुए सड़कों पर प्रदर्शन किया और राज्यपाल के इस्तीफे की मांग की। मामले ने गंभीर मोड़ तब लिया जब ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की।

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की चिंता

संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने इस अभियान को “नरसंहार” करार देते हुए चिंता जताई है। यह घटना ब्राजील के हाल के इतिहास में सबसे घातक पुलिस अभियानों में से एक मानी जा रही है। अधिकारी इसे “नारको-आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई” बता रहे हैं, वहीं नागरिक इसे न्यायिक हत्या कह रहे हैं।

फायरिंग और ड्रोन से हमले का दावा

पुलिस का कहना है कि जैसे ही टीमें आगे बढ़ीं, रेड कमांड गैंग के सदस्यों ने फायरिंग शुरू कर दी और सड़कों पर जलते हुए बैरिकेड्स लगाकर ड्रोन से बम गिराने की कोशिश की। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई गैंग द्वारा कब्जे बढ़ाने की कोशिशों को रोकने के लिए की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट के जज एलेक्जेंडर डी मोरेस ने राज्यपाल और पुलिस प्रमुखों से इस अभियान की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने मृतकों की संख्या, शवों की स्थिति और उनके साथ हुई बर्बरता पर सवाल उठाए हैं। अगली सुनवाई अगले सोमवार को तय की गई है।

सड़कों पर विरोध और गुस्सा

रियो के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने शव सड़कों पर रखकर विरोध जताया। सामाजिक कार्यकर्ता रूट सेल्स ने कहा, “हम अपराधी नहीं हैं, फिर हमें मौत की सजा क्यों दी जा रही है?”

पुलिस का पक्ष

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान संगठित ड्रग माफियाओं के ठिकानों को खत्म करने के लिए चलाया गया। रेड कमांड लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी संगठन थर्ड प्योर कमांड (TCP) के इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था, जिससे शहर में हिंसा बढ़ गई थी।