हज 2026 के लिए चयनित आजमीन अगर अपनी यात्रा रद्द करते हैं तो उन्हें इस बार भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। हज कमेटी ऑफ इंडिया ने नई व्यवस्था के तहत साफ किया है कि अंतिम चरण में यात्रा रद्द करने वालों की जमा की गई संपूर्ण राशि जब्त कर ली जाएगी। यह फैसला सऊदी अरब सरकार के बदले हुए नियमों को देखते हुए लिया गया है, जिसमें आवास और अन्य व्यवस्थाओं के लिए अग्रिम भुगतान अनिवार्य है।
अब केवल विशेष परिस्थितियों में ही होगी रद्दीकरण की अनुमति
हज कमेटी का कहना है कि अब केवल असाधारण मामलों — जैसे गंभीर बीमारी, गर्भावस्था या मृत्यु — में ही यात्रा रद्द करने की अनुमति दी जाएगी। इन स्थितियों में राज्य हज कमेटी की सिफारिश पर सिर्फ ₹2,300 की कटौती कर शेष राशि वापस की जाएगी। हालांकि ऐसे आजमीन के साथ जाने वालों के मामले में ₹5,000 की कटौती लागू होगी।
तारीख के अनुसार कटौती की स्लैब
यात्रा रद्द करने पर लगने वाला शुल्क अब तय तिथियों के अनुसार होगा:
- 30 सितंबर 2025 तक: ₹5,000
- 1 से 15 अक्टूबर: ₹10,000
- 16 से 31 अक्टूबर: ₹15,000
- 1 से 15 नवंबर: ₹20,000
- 16 से 30 नवंबर: ₹25,000
- 1 से 15 दिसंबर: ₹30,000
- 16 से 31 दिसंबर 2025: ₹35,000
- 1 से 15 जनवरी 2026: ₹50,000
- 16 से 31 जनवरी 2026: ₹1,00,000
- 1 फरवरी 2026 के बाद: जमा की गई पूरी राशि जब्त
जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
राज्य हज कमेटी के सचिव एस.पी. तिवारी ने बताया कि सऊदी सरकार के नए प्रावधानों के चलते आवेदन प्रक्रिया अगस्त 2025 में ही पूरी कर ली जाएगी और अप्रैल 2026 से हज उड़ानों की शुरुआत संभावित है। चूंकि रिहाइश और यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाओं के लिए पहले ही भुगतान करना होता है, इसलिए रद्दीकरण पर हज कमेटी को धन वापसी नहीं मिलती। इसी कारण से यह नई शुल्क प्रणाली लागू की गई है।