पाकिस्तान में भीषण बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। हजारों लोग बेघर हो गए हैं, सैकड़ों गांव पानी में डूबे पड़े हैं और राहत-बचाव अभियान तेज़ी से जारी है। इसी बीच रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ के एक विवादित बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि बाढ़ को अल्लाह की रहमत समझकर लोग घरों में बाल्टी और टब में पानी जमा करें।
रक्षामंत्री ने सुझाव दिया कि नागरिकों को सड़कों पर प्रदर्शन करने के बजाय बाढ़ के पानी को सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने इसे ईश्वर की कृपा करार देते हुए संयम बरतने की अपील की। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस टिप्पणी को असंवेदनशील और बेतुका बताया।
भारी तबाही और जनजीवन पर असर
लगातार बारिश से कई नदियां उफान पर हैं और अनेक प्रांत बुरी तरह प्रभावित हैं। अब तक 854 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1100 से ज्यादा घायल हुए हैं। लाखों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। फसलें नष्ट हो गईं और पशुधन बह जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। आपदा प्रबंधन एजेंसियां लगातार राहत सामग्री पहुंचा रही हैं, लेकिन ज़रूरत के मुकाबले संसाधन कम पड़ रहे हैं।
विपक्ष का हमला और जनता की नाराज़गी
विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार को राहत और पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, न कि ऐसे बयान देने चाहिए जो पीड़ा को और बढ़ाएं। सोशल मीडिया पर भी आम नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने गहरी नाराज़गी जताई। उनका कहना है कि सरकार उनकी तकलीफ़ समझने के बजाय गैर-जिम्मेदाराना उपदेश दे रही है।
अंतरराष्ट्रीय मदद की कोशिशें
संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजनी शुरू कर दी है। कुछ देशों ने आर्थिक सहायता और दवाइयां देने का वादा भी किया है। हालांकि, खराब बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक कमज़ोरियों के चलते मदद हर ज़रूरतमंद तक नहीं पहुंच पा रही।
आर्थिक और राजनीतिक संकट से पहले ही जूझ रहे पाकिस्तान में यह बाढ़ आपदा हालात को और बिगाड़ रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार राहत कार्यों में नाकाम है और विवादित बयान जनता की पीड़ा से ध्यान भटकाने की कोशिश है। प्रभावित लोग अब सीधे तौर पर शासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं।