अमेरिकी सरकार के लंबे शटडाउन के खत्म होने की ख़बरों का असर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में साफ दिखाई दिया। लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त दर्ज की गई। सोमवार को तेल 0.98% उछलकर 60.20 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। विश्लेषकों का कहना है कि नीति संबंधी अनिश्चितता कम होने से यह सुधार दिखा है, हालांकि समग्र रूप से बाजार में मंदी का माहौल बरकरार है।

40 दिनों बाद खुलने जा रही अमेरिकी सरकार

रविवार को अमेरिकी सीनेटरों ने रिकॉर्ड 40 दिनों के शटडाउन को समाप्त करने पर सहमति जताई। आठ डेमोक्रेट सांसदों के समर्थन वाले इस समझौते के तहत 30 जनवरी तक सरकारी खर्च जारी रखा जाएगा, जबकि दिसंबर में अफोर्डेबल केयर एक्ट सब्सिडी बढ़ाने पर मतदान होगा। सीनेट इस प्रस्ताव पर सोमवार सुबह मतदान करने जा रही है, जिससे प्रशासनिक गतिविधियाँ सामान्य होने की राह पर लौट सकती हैं।

मंदी से घिरा तेल बाज़ार, विशेषज्ञ नहीं दिखा रहे बड़ी तेजी की उम्मीद

अल्पकालिक सुधार के बावजूद ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि तेल बाजार पर मंदी का दबाव बना रहेगा। ऊर्जा मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा का कहना है कि जब तक वैश्विक मांग में मज़बूत बढ़ोतरी नहीं दिखती, तब तक कीमतों में स्थायी तेजी की संभावना कम है। अमेरिकी शटडाउन का समाधान बाजार भावनाओं को थोड़ी राहत दे सकता है, लेकिन मांग या आपूर्ति में बड़ा बदलाव ही रुख बदल सकता है।

सावधानी के बीच दिखी हल्की तेजी

कॉमोडिटी विश्लेषक रिया सिंह ने बताया कि सरकार खुलने की खबर ने बाजार में सकारात्मक संकेत भेजे हैं, लेकिन निवेशकों की सतर्कता बनी हुई है। ओपेक+ देशों की ओर से दिसंबर में उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी और गैर-ओपेक देशों की अतिरिक्त आपूर्ति भी कीमतों पर दबाव बनाए हुए है। संगठन ने 2026 की पहली तिमाही तक उत्पादन बढ़ोतरी पर संयम बरतने का संकेत भी दिया है।

सुरक्षित रुख बनाए रखने की सलाह

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मांग में कोई महत्वपूर्ण उछाल या भू-राजनीतिक स्तर पर बड़ा व्यवधान नहीं आता, तो तेल बाजार का रुख कमजोर ही बना रह सकता है। मौजूदा तेजी को वे केवल अस्थायी सुधार मान रहे हैं।