अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति से जुड़े डेमोक्रेट नेताओं ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा है कि रूस से तेल खरीदने के मामले में उन्होंने केवल भारत पर टैरिफ लगाया है, जबकि चीन और अन्य देशों को इससे छूट मिली हुई है, जो कहीं अधिक मात्रा में तेल आयात कर रहे हैं।
समिति ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सिर्फ भारत को निशाना बनाने से अमेरिका-भारत संबंध कमजोर हो रहे हैं और इसका नुकसान अमेरिकी जनता को भी उठाना पड़ रहा है। समिति ने ट्रंप प्रशासन के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह निर्णय यूक्रेन युद्ध से जुड़ा हुआ नहीं दिखता।
एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए समिति ने कहा कि अगर रूस से तेल खरीदने वाले सभी देशों पर सेकंडरी टैरिफ लगाया जाता तो स्थिति अलग होती, लेकिन केवल भारत पर कार्रवाई सबसे उलझनभरी नीति प्रतीत होती है। समिति ने यह भी याद दिलाया कि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक है और वह अब भी रियायती दामों पर कच्चा तेल खरीद रहा है, बावजूद इसके उसे ऐसी किसी सजा का सामना नहीं करना पड़ा है।
समिति की यह टिप्पणी उस दिन आई, जब अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लागू कर दिया। इससे पहले अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (सीबीपी) ने एक मसौदा नोटिस जारी कर इसकी जानकारी दी थी। यह आदेश 27 अगस्त से लागू होना है।
नोटिस में बताया गया कि अतिरिक्त शुल्क राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश संख्या 14329 के तहत लगाया गया है, जिसे 6 अगस्त 2025 को जारी किया गया था। इस आदेश का शीर्षक है—‘रूसी संघ से उत्पन्न अमेरिकी सुरक्षा को खतरे।’