अफगानिस्तान के जलालाबाद में रविवार रात आए 6 तीव्रता के भूकंप से कम से कम 800 लोगों की मौत हो गई और 2,500 से अधिक घायल हुए हैं। प्रभावित क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे मलबे में दबे लोगों को बचाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से राहत और बचाव कार्यों के लिए मदद मांगी है।

कुनार प्रांत भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। यहां के निवासी सादिकुल्लाह ने बताया कि तेज धमाके से उनकी नींद खुल गई। उन्होंने अपने तीन बच्चों को बचाया, लेकिन घर की छत गिरने से परिवार के बाकी सदस्य मलबे में दब गए। वह खुद भी चार घंटे तक मलबे में फंसे रहे। उनकी पत्नी और दो बेटे की मौत हो गई, जबकि पिता घायल हैं।

एक अन्य निवासी मोहम्मदी ने कहा कि पूरी रात भय और चिंता में बीती, क्योंकि उन्हें डर था कि दूसरा भूकंप आ सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें घायलों को बचाने और मृतकों को निकालने के लिए तत्काल चिकित्सा और एम्बुलेंस की आवश्यकता है। नांगरहार अस्पताल में यामा बारिज ने बताया कि अभी भी 460 घायल इलाज के लिए भर्ती हैं और अस्पताल में संसाधनों की कमी है।

अंतरराष्ट्रीय सहायता की पेशकश
ब्रिटेन ने 13.5 लाख डॉलर की मदद संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) और अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस (IFRC) को दी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन सामग्री मुहैया कराई जाएगी। चीन ने अफगानिस्तान को अपनी क्षमता अनुसार आपदा राहत देने की तैयारी की घोषणा की है। भारत ने काबुल में 1,000 टेंट पहुंचाए हैं और कुनार में 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है। मंगलवार से भारत और राहत सामग्री भेजना शुरू करेगा।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मिशन भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी सहायता की पेशकश की है। स्विट्जरलैंड ने काबुल के मानवीय सहायता कार्यालय के जरिए मदद देने की तैयारी की है। संयुक्त अरब अमीरात ने तत्काल राहत दल और आवश्यक सामग्री जैसे भोजन, दवा और टेंट भेजे हैं।

भूकंप का असर पाकिस्तान से निकाले गए अफगान परिवारों पर भी पड़ा। कुनार के मोहम्मद असलम ने बताया कि उनके पांच परिजन इस आपदा में मारे गए। पाकिस्तान की सरकार इस साल बिना दस्तावेज अफगानों को जबरन वापस भेज रही है। 35 लाख से अधिक अफगान पाकिस्तान में रह रहे थे, जिन्हें सुरक्षा और संसाधनों के अभाव के कारण निकाला गया।