रूस के सुदूर-पूर्वी तटीय इलाके कैमचटका प्रायद्वीप में बुधवार को आए शक्तिशाली भूकंप ने एशिया, यूरोप और अमेरिका तक सुनामी की आशंका को जन्म दे दिया है। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 8.8 मापी गई है। इससे उत्पन्न खतरे को देखते हुए रूस सहित जापान और अमेरिका के हवाई द्वीपों में समुद्री तटों से बड़ी संख्या में लोगों को हटाया गया है। रिपोर्टों के अनुसार, हवाई में छह फीट तक ऊंची लहरें देखी गईं, जबकि जापान में फुकुशिमा स्थित परमाणु संयंत्र को खाली कराया जा रहा है। फिलीपींस और न्यूजीलैंड समेत कई देशों में उच्च स्तर की चेतावनी जारी की गई है।
क्या है ‘रिंग ऑफ फायर’?
दुनिया के भूगर्भीय मानचित्र पर एक विशेष क्षेत्र “रिंग ऑफ फायर” (Ring of Fire) के नाम से जाना जाता है, जो प्रशांत महासागर के चारों ओर स्थित है। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों और भूकंपों का केंद्र है। इस अर्धवृत्ताकार पट्टी की लंबाई करीब 40,250 किलोमीटर है। यह इलाका कई प्रमुख टेक्टॉनिक प्लेट्स जैसे यूरेशियन, नॉर्थ अमेरिकन, इंडो-ऑस्ट्रेलियन, फिलीपींस, नाज़का और अन्य छोटी प्लेट्स को समेटे हुए है। ये प्लेट्स निरंतर एक-दूसरे के संपर्क में रहती हैं और आपसी टकराव से भूकंप की स्थिति बनती है।
इस क्षेत्र में करीब 450 से अधिक सक्रिय और निष्क्रिय ज्वालामुखी हैं, जो समुद्र की गहराइयों में मौजूद हैं। मौजूदा समय में विश्व के करीब 75% सक्रिय ज्वालामुखी यहीं पाए जाते हैं।
रिंग ऑफ फायर में भूकंप की आशंका क्यों अधिक होती है?
प्रशांत महासागर के इस क्षेत्र में टेक्टॉनिक प्लेट्स का निरंतर खिसकना, टकराना और एक-दूसरे के ऊपर चढ़ना, इसे भूकंपीय दृष्टिकोण से सबसे संवेदनशील बनाता है। इन टेक्टॉनिक हलचलों से ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं और जब ज्वालामुखी में मैग्मा तेजी से हिलने लगता है, तो इससे आसपास की प्लेट्स में और ज्यादा हलचल शुरू हो जाती है, जिससे भूकंप की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
भूकंप के बाद सुनामी का खतरा
प्रशांत क्षेत्र में आए इस भूकंप के बाद सुनामी का खतरा गंभीर रूप ले सकता है। समुद्र के नीचे की टेक्टॉनिक प्लेट्स के तेजी से खिसकने से जब समुद्र तल ऊँचा उठता है या नीचे धँसता है, तो उससे विशाल समुद्री लहरें उत्पन्न होती हैं, जो बेहद तेज रफ्तार से तटों की ओर बढ़ती हैं। कैमचटका के पास आए इस भूकंप से उत्पन्न लहरों की गति 900 किलोमीटर प्रतिघंटा तक पहुंचने का अनुमान है। समुद्र की सतह पर इनकी ऊंचाई कुछ फीट से लेकर कई मीटर तक हो सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस प्रकार की घटनाएं उन सभी देशों के लिए खतरे की घंटी हैं, जो रिंग ऑफ फायर के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं—जैसे रूस, जापान, अमेरिका, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पेरू, चिली, और न्यूज़ीलैंड आदि।