इस्राइल ने रविवार को घोषणा की कि गाजा पट्टी में बंद सभी जीवित बंधकों को सोमवार तक मुक्त कर दिया जाएगा। यह कदम हमास के साथ हुए संघर्षविराम समझौते के तहत उठाया जा रहा है, जिसने दो वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने की नई उम्मीद जगा दी है। इस्राइल के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जामीर ने कहा, “कुछ ही घंटों में हम फिर से एक साथ होंगे।”

इस्राइली अधिकारियों के अनुसार, करीब 20 जीवित बंधकों को रेड क्रॉस की निगरानी में छह से आठ वाहनों के काफिले के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाएगा। प्रवक्ता शोश बेड्रोसियन ने बताया कि इस बार बंधकों की अदला-बदली की प्रक्रिया पहले की तरह सार्वजनिक नहीं होगी। रिहाई के बाद सभी बंधकों को या तो उनके परिजनों से मिलाया जाएगा या आवश्यकता होने पर अस्पताल भेजा जाएगा।


इस्राइल छोड़ेगा 2,000 फिलिस्तीनी कैदी

बंधकों की रिहाई के बदले इस्राइल लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करने की तैयारी में है। इनमें करीब 250 लोग आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जबकि लगभग 1,700 कैदियों को गाजा से बिना औपचारिक आरोप के हिरासत में लिया गया था।

इस्राइल के बंधक एवं लापता व्यक्तियों के समन्वयक गैल हिर्श ने बताया कि एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स 72 घंटे के भीतर उन बंधकों की खोज शुरू करेगी जिनके शव अब तक नहीं मिले हैं। कई बंधकों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई गई है।


ट्रंप की मध्य पूर्व यात्रा शुरू

संघर्षविराम लागू होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रविवार को मध्य पूर्व की यात्रा पर रवाना हुए। वे इस्राइल और मिस्र का दौरा करेंगे। यात्रा का उद्देश्य संघर्षविराम समझौते का स्वागत करने के साथ क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में आगे की बातचीत को गति देना है। फिलिस्तीनी प्रशासन ने भी उम्मीद जताई है कि सोमवार से गाजा के प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री और मानवीय सहायता पहुंचनी शुरू हो जाएगी।


रिहाई सूची में पुराने कैदी भी शामिल

इस्राइल जिन कैदियों को रिहा करने जा रहा है, उनमें हमास और फतह गुट से जुड़े कई पुराने सदस्य शामिल हैं जिन्हें 2000 के दशक में गिरफ्तार किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रिहाई के बाद कुछ कैदियों को गाजा या अन्य क्षेत्रों के बाहर निर्वासन में रहना पड़ सकता है।

रिहा होने वालों में इस्लामिक जिहाद के कमांडर इयाद अबू अल रब का नाम प्रमुख है, जिसे 2003 से 2005 के बीच इस्राइल में आत्मघाती हमलों की योजना बनाने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। उन हमलों में 13 लोगों की मौत हुई थी।
सबसे वरिष्ठ कैदियों में 64 वर्षीय समीर अबू नामा हैं, जो फतह के सदस्य हैं और 1986 में विस्फोटक लगाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे। वहीं, सबसे कम उम्र के रिहा होने वाले कैदी मोहम्मद अबू कतीश हैं, जिन्हें 2022 में एक इस्राइली नागरिक पर चाकू से हमला करने के आरोप में मात्र 16 वर्ष की आयु में जेल भेजा गया था।