बीजिंग में मंगलवार को आयोजित भव्य सैन्य परेड में चीन ने अपनी सैन्य ताकत का शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान मिसाइलें, लड़ाकू विमान, ड्रोन और कई ऐसे हथियार दिखाए गए, जिन्हें पहली बार जनता के सामने प्रस्तुत किया गया। परेड में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रमुख के रूप में सलामी स्वीकार की। यह आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ। इसमें करीब दो दर्जन देशों के नेता शामिल हुए, जो बीजिंग के साथ संबंध मजबूत करने की मंशा से पहुंचे।

चीनी सैन्य अधिकारियों के मुताबिक परेड में जमीन, समुद्र और आकाश से चलने वाले रणनीतिक हथियार, आधुनिक हमलावर उपकरण और युद्धक विमान-हेलिकॉप्टर शामिल रहे। 2019 के बाद यह पहली बड़ी सैन्य परेड है। 2019 में इसे सीपीसी की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किया गया था। इस बार का आयोजन चीन पर पड़े द्वितीय विश्व युद्ध के गहरे प्रभाव को याद करने के लिए किया गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस परेड का उद्देश्य नागरिकों में आत्मविश्वास और गर्व जगाना है, साथ ही यह संदेश देना कि देश किसी भी खतरे से निपटने को तैयार है। हालांकि, चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को लेकर अमेरिका और एशियाई देशों में चिंता भी देखी जा रही है।

इस परेड से अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेता दूर रहे। जापान, भारत और दक्षिण कोरिया के शीर्ष नेता भी शामिल नहीं हुए। वहीं, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति ने इसमें उपस्थिति दर्ज कराई। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के कुछ नेता भी शामिल हुए, जबकि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने देश में चल रहे प्रदर्शनों के कारण अपनी यात्रा स्थगित कर दी।