बांग्लादेश के रंगपुर जिले में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय एक बार फिर हिंसा का शिकार हुआ है। कट्टरपंथी भीड़ ने बालापाड़ा गांव में हमला कर 22 से अधिक घरों में तोड़फोड़, लूटपाट और मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया। हमले के बाद भयभीत होकर कई हिंदू परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं।
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे उपद्रवियों ने घरों के दरवाजे, खिड़कियां, फर्नीचर और जरूरी सामान तक को क्षतिग्रस्त कर दिया। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने जीवन भर की मेहनत से जो घर बनाए थे, वे अब पूरी तरह उजड़ चुके हैं।
फेसबुक पोस्ट बना हमले की वजह
जानकारी के अनुसार, विवाद की शुरुआत एक युवक द्वारा सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट से हुई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बावजूद, सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शनिवार और रविवार की रात गांव में धावा बोल दिया। बताया जा रहा है कि हमले में लगभग दो हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
घटना के तीन दिन बाद पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों की पहचान की जा रही है और पीड़ितों के मकानों की मरम्मत कराने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
पीड़ितों की पीड़ा और सवाल
स्थानीय निवासियों ने बताया कि हमलावर न केवल सामान लूटकर ले गए, बल्कि खाने-पीने की चीजें भी तबाह कर दी गईं। अब उनके पास न भोजन है, न रहने का सुरक्षित स्थान। पीड़ितों ने कहा कि उनका किसी से कोई विवाद नहीं था, फिर भी उन्हें निशाना बनाया गया।
इस घटना के बाद फिर एक बार बांग्लादेश सरकार और विशेष रूप से नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि देश में बार-बार अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हिंसा की घटनाएं क्यों दोहराई जाती हैं, और आखिर इस पर ठोस कदम कब उठाए जाएंगे?