अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी ने अपने भारत दौरे को बेहद सफल और सुखद बताया। यह उनका भारत का पहला दौरा है विदेश मंत्री के रूप में। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और भारत सरकार की मेहमाननवाजी और सहयोग के लिए धन्यवाद जताया। मुत्ताकी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक, राजनयिक, क्षेत्रीय और सुरक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
हवाई संपर्क और स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग
मुत्ताकी ने कहा कि भारत सरकार ने काबुल में अपने दूतावास की तकनीकी उपस्थिति को मजबूत करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, जल्द ही अफगानिस्तान का राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भी दिल्ली आएगा। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए हवाई संपर्क (एयर कॉरिडोर) को मजबूत करने पर सहमति जताई। विदेश मंत्री जयशंकर ने अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और हाल ही में आए भूकंप पीड़ितों के लिए भारत की मदद पर भरोसा जताया।
व्यापार समिति और निवेश के अवसर
भारत और अफगानिस्तान ने मिलकर एक 'व्यापार समिति' बनाने का फैसला किया है। मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान में निवेश के नए अवसर खुले हैं, खासकर खनिज और ऊर्जा क्षेत्र में। उन्होंने भारतीय कंपनियों और निवेशकों को इन क्षेत्रों में काम करने के लिए आमंत्रित किया।
20 एम्बुलेंस उपहार में दीं
भारत ने सद्भावना के प्रतीक के तौर पर अफगानिस्तान को 20 एम्बुलेंस उपहार में दीं। विदेश मंत्री जयशंकर ने इनमें से पांच एम्बुलेंस मुत्ताकी को व्यक्तिगत रूप से सौंपीं।
बगराम एयरबेस और चाबहार बंदरगाह पर दो टूक
मुत्ताकी ने बगराम एयरबेस पर कहा कि अफगानिस्तान के लोग विदेशी सेना को स्वीकार नहीं करते और भविष्य में भी स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि विदेशी संपर्क केवल राजनयिक मिशन के माध्यम से होना चाहिए। चाबहार बंदरगाह को लेकर मुत्ताकी ने कहा कि यह भारत और अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है, जिसे बाधाओं से मुक्त रखना जरूरी है। उन्होंने अमेरिका के कुछ प्रतिबंधों के बावजूद इस मार्ग का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस दौरे से साफ है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों ही आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने के इच्छुक हैं।