संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शुक्रवार को भारत ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वर्चुअल माध्यम से भाषण देने की अनुमति दी गई। यह कदम तब उठाया गया जब ट्रंप प्रशासन ने अब्बास का अमेरिका का वीजा रद्द कर दिया था। इस प्रस्ताव को भारी समर्थन मिला, 145 देशों ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि इज़राइल, अमेरिका, पलाऊ, पराग्वे और नाउरू ने इसका विरोध किया। छह देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी। अब्बास अगले हफ्ते वीडियो लिंक के जरिए संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे, जिसे फिलिस्तीन के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
वहीं, ईरान पर दोबारा कड़े प्रतिबंध लगाने से रोकने का प्रस्ताव यूएन सुरक्षा परिषद में असफल रहा। इस प्रस्ताव को पास करने के लिए 15 में से कम से कम 9 वोट चाहिए थे, लेकिन केवल चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने समर्थन दिया। परिणामस्वरूप ईरान पर प्रतिबंध लगने की संभावना बढ़ गई है, जिनमें हथियारों की खरीद-बिक्री पर रोक, बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर पाबंदी, संपत्ति फ्रीज और परमाणु तकनीक से जुड़ी गतिविधियों पर प्रतिबंध शामिल हैं।
2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान पर लगे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए गए थे। समझौते में स्नैपबैक मैकेनिज्म का प्रावधान है, जिसके अनुसार ईरान शर्तों का उल्लंघन करे तो पुराने प्रतिबंध अपने आप फिर से लागू हो जाएंगे। यूरोप के तीन बड़े देश—फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन—ने दावा किया कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन किया है।
हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इसे गैरकानूनी और अनुचित बताया। आईएईए प्रमुख राफेल ग्रोसी ने कहा कि निरीक्षण की प्रक्रिया तय है, लेकिन कब शुरू होगी, अभी स्पष्ट नहीं है। जून में इस्राइल और अमेरिका ने ईरानी परमाणु स्थलों पर हवाई हमले किए थे, जिससे स्थिति और नाजुक हो गई है। स्नैपबैक प्रतिबंध लागू होने से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है।