अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में भारतीय मूल की डेमोक्रेट नेता गजाला हाशमी ने बड़ा राजनीतिक इतिहास रच दिया है। 61 वर्षीय हाशमी को लेफ्टिनेंट गवर्नर पद के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड के खिलाफ जीत मिली है। इस पद पर पहुंचने वाली वह राज्य की पहली मुस्लिम और दक्षिण एशियाई मूल की महिला बन गई हैं।

वर्जीनिया में मंगलवार को हुए मतदान के नतीजे बुधवार को घोषित किए गए। गजाला हाशमी को उनके समावेशी दृष्टिकोण, सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण और शिक्षा सुधार के मुद्दों पर स्पष्ट रुख के लिए जाना जाता है। वह लंबे समय से लोकतंत्र, पर्यावरण संरक्षण, सार्वजनिक शिक्षा, बंदूक हिंसा की रोकथाम और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दों पर सक्रिय रही हैं।

राजनीति में आने से पहले गजाला हाशमी एक शिक्षक और शिक्षाविद के रूप में पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने करीब 30 वर्षों तक यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड और रेनॉल्ड्स कम्युनिटी कॉलेज में अध्यापन किया है।

भारतीय समुदाय ने बताया ऐतिहासिक पल

इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट फंड’ ने हाशमी की जीत को भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। संगठन के कार्यकारी निदेशक चिंतन पटेल ने कहा कि “गजाला हाशमी की जीत यह दर्शाती है कि भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के लोग अब अमेरिकी लोकतंत्र में गहराई से भागीदारी निभा रहे हैं।” संगठन ने हाशमी के चुनाव अभियान में 1.75 लाख डॉलर का निवेश कर मतदाताओं को जागरूक करने में मदद की थी।

भारत से अमेरिका तक का सफर

गजाला हाशमी का जन्म भारत में हुआ था। वह चार साल की उम्र में अपनी मां और भाई के साथ अमेरिका चली गई थीं, जहां उनके पिता इंटरनेशनल रिलेशंस में पीएचडी कर रहे थे। उन्होंने जॉर्जिया सदर्न यूनिवर्सिटी से ऑनर्स के साथ बीए और एमोरी यूनिवर्सिटी से अमेरिकन लिटरेचर में पीएचडी की डिग्री हासिल की। 1991 में अपने पति अजहर के साथ शादी के बाद वह वर्जीनिया के रिचमंड शहर में बस गईं।

हाशमी ने 2019 में पहली बार वर्जीनिया सीनेट का चुनाव जीता था और तब से वह लगातार शिक्षा सुधार और समान अवसरों की आवाज उठाती रही हैं। उनकी जीत को न केवल अल्पसंख्यक समुदायों के सशक्तिकरण के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह अमेरिका में भारतीय मूल की महिलाओं के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का भी प्रतीक बन गई है।