मॉस्को में लावरोव-जयशंकर की मुलाकात, रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक व्यवस्था पर हुई चर्चा

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर के साथ मॉस्को में बैठक की। लावरोव ने कहा कि उन्हें जयशंकर का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय विदेश मंत्री ने उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव के साथ व्यापार और आर्थिक मामलों पर अंतर-सरकारी आयोग की सफल बैठक की है।

लावरोव ने उम्मीद जताई कि इस बैठक में दोनों देशों के बीच राजनीतिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। उन्होंने कहा, “भारत और रूस के रिश्ते विशेष रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं और हमें विश्वास है कि इन संबंधों को और मजबूत किया जाएगा।” उन्होंने मौजूदा वैश्विक परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अब बहुध्रुवीय व्यवस्था आकार ले रही है, जिसमें एससीओ, ब्रिक्स और जी20 जैसे मंच अहम भूमिका निभा रहे हैं। लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र को संतुलित दृष्टिकोण और वैश्विक सहयोग का प्रमुख मंच बताया।

जयशंकर ने कही ये बातें

बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह मुलाकात दोनों देशों के राजनीतिक और द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा का अवसर है। उन्होंने राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान-तकनीक और जन-जन के रिश्तों पर संवाद की उम्मीद जताई। जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के नेताओं की पिछली मुलाकात जुलाई 2023 में हुई थी और अब साल के अंत में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारी जारी है।

जयशंकर ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत-रूस संबंध दुनिया के सबसे स्थिर और भरोसेमंद रिश्तों में गिने जाते हैं। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बनाए रखने और व्यापार असंतुलन को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके मुताबिक, कृषि, दवा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों से भारत के निर्यात में वृद्धि कर संतुलन कायम किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि रक्षा और सैन्य तकनीक के क्षेत्र में सहयोग पहले की तरह मजबूत है और रूस ‘मेक इन इंडिया’ पहल का समर्थन करता है।

भारतीयों का मुद्दा और तेल व्यापार पर जवाब

जयशंकर ने रूस की सेना में शामिल भारतीय नागरिकों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को रिहा कर दिया गया है, जबकि कुछ मामलों पर कार्रवाई जारी है।

तेल और ऊर्जा व्यापार को लेकर उठे सवालों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल या एलएनजी खरीदार नहीं है। उन्होंने कहा, “कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन हैं और एलएनजी के सबसे बड़े ग्राहक यूरोपीय संघ। 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी भी भारत नहीं, बल्कि अन्य देशों में हुई है।”

जयशंकर ने कहा कि भारत वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाता है, जिसमें रूस और अमेरिका दोनों से तेल आयात शामिल है। उन्होंने कहा कि मीडिया में फैली कुछ बातें भ्रामक हैं और वास्तविक स्थिति को सही तरीके से समझना जरूरी है।

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