गाजा संकट पर सख्त हुआ नीदरलैंड, इस्राइल के दो मंत्रियों के प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध

गाजा में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति के बीच नीदरलैंड ने इस्राइल के दो वरिष्ठ मंत्रियों के देश में प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जानकारी नीदरलैंड के विदेश मंत्री कैस्पर वेल्डकैंप ने संसद को भेजे पत्र में दी।

वेल्डकैंप ने पत्र में लिखा कि गाजा में जारी संघर्ष को रोका जाना जरूरी है और इसी के तहत यह कदम उठाया गया है। प्रतिबंधित नेताओं में इस्राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर और वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच शामिल हैं, जो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के प्रमुख सहयोगी माने जाते हैं।

दोनों मंत्री यहूदी बस्तियों के विस्तार और गाजा में सैन्य कार्रवाई को जारी रखने के पक्षधर हैं। साथ ही, वे फिलीस्तीनी नागरिकों को क्षेत्र से स्वैच्छिक पलायन के लिए प्रोत्साहित करने के विचार का भी समर्थन करते हैं। इससे पहले, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और नॉर्वे भी इन दोनों नेताओं पर आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं।

यूरोपीय संघ के नेता मंगलवार को ब्रसेल्स में इस्राइल के साथ अपने व्यापारिक संबंधों की समीक्षा करेंगे। नीदरलैंड की मांग है कि इस समझौते के कुछ हिस्सों को निलंबित किया जाए।

इस्राइली मंत्रियों ने प्रतिबंधों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। वित्त मंत्री स्मोट्रिच ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यूरोपीय नेता इस्लामी चरमपंथ के दबाव में झुक रहे हैं, जिससे यहूदियों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है। वहीं, बेन-ग्वीर ने कहा कि वह अपने कार्यों से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोप में यहूदी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है जबकि आतंकवादियों को खुली छूट दी जा रही है।

नीदरलैंड में आगामी चुनावों से पहले सरकार पर गाजा संकट को लेकर विदेश नीति में बदलाव का दबाव लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में देश के रेलवे स्टेशनों पर हजारों लोगों ने गाजा में खाद्य संकट के विरोध में बर्तन और चम्मच बजाकर प्रदर्शन किया।

नीदरलैंड सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह इस्राइली राजदूत को तलब कर प्रधानमंत्री नेतन्याहू से गाजा में मानवीय स्थिति को सुधारने के लिए ठोस और शीघ्र कदम उठाने की मांग करेगी।

अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इस्राइल ने हाल ही में कुछ राहत उपायों की घोषणा की है, जिसमें संघर्षविराम के दौरान राहत सामग्री की हवाई आपूर्ति शामिल है। हालांकि, गाजा में रहने वाले नागरिकों का कहना है कि ज़मीनी हालात में कोई बड़ा सुधार अब तक नहीं दिखा है।

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