ओस्लो स्थित नोबेल समिति ने वर्ष 2025 का शांति पुरस्कार वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को प्रदान किया है। लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के उनके निरंतर प्रयासों को मान्यता देते हुए समिति ने उन्हें “तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव की प्रतीक” बताया।

मचाडो, जिन्हें वेनेजुएला में “आयरन लेडी” के नाम से जाना जाता है, लंबे समय से सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ लोकतांत्रिक आवाज़ उठाती रही हैं। नोबेल समिति की अध्यक्ष ने कहा कि “मचाडो ने अंधकार के दौर में भी लोकतंत्र की लौ को जीवित रखा है।” उन्हें हाल ही में टाइम पत्रिका की ‘2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों’ की सूची में भी स्थान मिला था।

व्हाइट हाउस ने जताई नाराजगी
इस निर्णय पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और व्हाइट हाउस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि “नोबेल समिति ने शांति के बजाय राजनीति को चुना है।” उन्होंने आगे लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप आगे भी शांति समझौते करते रहेंगे, युद्धों को खत्म करने का प्रयास करेंगे और मानवता की रक्षा में योगदान देते रहेंगे। उनके जैसा कोई और नहीं जो अपनी इच्छा शक्ति से पहाड़ों को भी हिला सके।”

गौरतलब है कि ट्रंप के समर्थक पिछले कई वर्षों से उन्हें मध्य-पूर्व शांति वार्ताओं और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने के प्रयासों के लिए नोबेल पुरस्कार दिए जाने की मांग करते रहे हैं। हालांकि, इस वर्ष मचाडो को सम्मानित किए जाने से यह उम्मीद टूट गई है।

नोबेल समिति का यह फैसला न केवल वेनेजुएला के लोकतांत्रिक संघर्ष को नई ऊर्जा देता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि वैश्विक स्तर पर शांतिपूर्ण बदलाव के प्रयासों को अब भी सर्वोच्च मान्यता मिलती है।