अमेरिका में रिसर्च फंडिंग में कटौती और विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता पर बढ़ते दबाव के बीच दो प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो, अमेरिका छोड़ने का फैसला किया है। दोनों जुलाई 2026 से स्विट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख में अपने नए शोध और शिक्षण कार्य शुरू करेंगे।
एमआईटी छोड़ने के बाद दोनों को यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख में लेमन फाउंडेशन की ओर से फंड की गई 'एंडाउड प्रोफेसरशिप' दी जाएगी। इसके अलावा, वे एक नया शोध केंद्र भी स्थापित करेंगे, जिसका नाम 'लेमन सेंटर फॉर डेवलपमेंट, एजुकेशन एंड पब्लिक पॉलिसी' रखा गया है। इस केंद्र का उद्देश्य विकास, शिक्षा और नीति निर्माण से जुड़े शोध को बढ़ावा देना और दुनिया भर के नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं को जोड़ना है।
दोनों अर्थशास्त्रियों ने अमेरिका छोड़ने के पीछे सीधे तौर पर कारण का खुलासा नहीं किया, लेकिन हाल में अमेरिकी सरकार द्वारा अनुसंधान फंडिंग में कटौती और विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता पर हमलों के चलते कई शोधकर्ताओं के दूसरे देशों की ओर जाने की संभावना बढ़ गई है। एस्थर डुफ्लो ने मार्च में फ्रांसीसी अखबार 'ले मोंडे' में प्रकाशित संपादकीय में भी अमेरिकी अकादमिक स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों की निंदा की थी।
डुफ्लो ने कहा कि लेमन सेंटर से उन्हें अपने काम को और व्यापक बनाने का अवसर मिलेगा, जिसमें अकादमिक रिसर्च, छात्रों का मार्गदर्शन और नीतिगत बदलावों के बीच बेहतर संबंध स्थापित किए जा सकेंगे। एमआईटी में दोनों अपनी पार्ट-टाइम भूमिकाएं भी जारी रखेंगे।
अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो ने 2019 में माइकल क्रेमर के साथ गरीबी घटाने के लिए किए गए प्रयोगात्मक शोध के लिए अर्थशास्त्र में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार प्राप्त किया था।