वॉशिंगटन। रविवार तड़के अमेरिका ने ईरान के खिलाफ एक बेहद गोपनीय और बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नामक इस मिशन में 125 से अधिक युद्धक विमान और मिसाइल प्रणालियां शामिल थीं। अमेरिकी सेना ने यह कार्रवाई ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों – फोर्दो, नतांज और इस्फहान – को निशाना बनाकर की।

संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल डैन केन ने जानकारी दी कि हमला खास तौर पर उन स्थानों पर केंद्रित था जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम से सीधे जुड़े हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमले की योजना इस प्रकार बनाई गई थी कि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे।

अत्याधुनिक विमानों और हथियारों का इस्तेमाल

इस अभियान में अमेरिका के बमवर्षक, फाइटर जेट, टैंकर विमान और खुफिया विमानों की भूमिका रही। विशेष रूप से बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल हुआ, जो मिसौरी से उड़ान भरकर आए थे। इन विमानों ने लगभग 30,000 पाउंड वजनी ‘बंकर बस्टर’ बम गिराए, जो ज़मीन के भीतर बने ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। ईरान पर यह हमला पूर्वी समयानुसार सुबह 6:40 बजे शुरू हुआ और सात बजे तक सभी विमान वापस लौट चुके थे।

'शांति के लिए यह कार्रवाई जरूरी'

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बयान में कहा कि यह सैन्य कार्रवाई अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और पश्चिम एशिया में स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने यह भी चेताया कि यदि ईरान आक्रामक नीतियां जारी रखता है, तो अमेरिका और कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने बयान में कहा कि ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया गया है और यदि ईरान ने अपने रुख में बदलाव नहीं किया, तो आगे और भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता, लेकिन किसी भी खतरे को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता।

आम ईरानी नागरिकों को नुकसान नहीं

रक्षा मंत्री हेगसेथ ने यह भी कहा कि अमेरिकी हमले का उद्देश्य केवल परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाना था, न कि ईरानी सेना या जनता को। उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्रपति के स्पष्ट निर्देश थे कि सैन्य लक्ष्य तय हों और आम जन पर कोई प्रभाव न पड़े।"

ऑपरेशन में इस्राइल की भागीदारी

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस मिशन की योजना में इस्राइल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ऑपरेशन की रणनीति में भ्रम पैदा करने और गुप्त तरीके से हमले को अंजाम देने की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान इतिहास में पहली बार 30,000 पाउंड वजनी 'मासिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर' (MOP) बमों का भी उपयोग किया गया।

समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर से भी हमले

ईरानी वायु क्षेत्र में घुसने से पहले अमेरिकी नौसेना की एक पनडुब्बी से इस्फहान पर टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी गईं। यह हमले ईरान की रक्षा प्रणाली को पंगु करने के उद्देश्य से किए गए। इस पूरे मिशन में अमेरिकी साइबर, अंतरिक्ष और सामरिक कमांड की संयुक्त भूमिका रही।

‘यह अमेरिका की शक्ति का प्रदर्शन था’

जनरल डैन केन के अनुसार, यह मिशन अमेरिका की वैश्विक सैन्य क्षमताओं का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “18 घंटे की उड़ान, हवा में कई बार ईंधन भरना और बिल्कुल समयबद्ध हमला – यह किसी भी अन्य सेना के लिए असंभव है।” जनरल केन ने यह भी बताया कि अभी तक अमेरिका को किसी नुकसान की जानकारी नहीं है और ईरान की ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं हुई है।

‘संघर्ष नहीं चाहते, लेकिन मजबूरी में जवाब देंगे’

अंत में रक्षा मंत्री हेगसेथ ने स्पष्ट किया कि अमेरिका संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन यदि नागरिकों, साझेदारों या हितों पर खतरा मंडराया तो तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ईरान को कड़ा संदेश देते हुए कहा, “अब विकल्प साफ हैं – या तो वार्ता और शांति का मार्ग अपनाएं, या फिर अपने परमाणु कार्यक्रम को समाप्त होते देखें।”