भारत के साथ हालिया सैन्य टकराव के बाद पाकिस्तान लगातार भारत के सामने बातचीत के लिए तत्पर दिख रहा है। इसी कड़ी में पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत के साथ गरिमा और सम्मान के साथ लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है, जिसमें कश्मीर विवाद भी शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बातचीत के लिए पाकिस्तान किसी भी प्रकार की भीख नहीं मांगेगा। डार ने मीडिया से कहा, “पाकिस्तान भारत से सम्मानजनक और समान स्तर पर व्यापक वार्ता के लिए तैयार है, जिसमें जम्मू-कश्मीर मुद्दा भी शामिल होगा, जो पाकिस्तान का वर्षों से स्थायी रुख रहा है।”
भारत का रुख
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल दो विषयों तक सीमित होगी – पहला, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और दूसरा, आतंकवाद से जुड़ी समस्या।
कंपोजिट डायलॉग का इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच कंपोजिट डायलॉग 2003 में शुरू हुआ था, जब पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार थी। इस वार्ता में आठ मुख्य मुद्दों पर बातचीत का ढांचा तय किया गया था, जिनमें कश्मीर, आतंकवाद, वाणिज्यिक संबंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल थे। हालांकि, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद यह प्रक्रिया पूरी तरह से ठप हो गई और फिर कभी ठीक से शुरू नहीं हुई।
हालिया टकराव का जिक्र
इशाक डार ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, जिस पर भारतीय सेना ने कई चौकियों और ठिकानों पर पलटवार किया। 10 मई को दोनों देशों के बीच चार दिन की ड्रोन और मिसाइल टकराव समाप्त हुआ।
पाकिस्तान का दावा
डार ने कहा कि इस संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की कथित कहानी को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली और इसकी वजह उनकी सक्रिय कूटनीति रही। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने जमीन और हवा दोनों में अपनी ताकत दिखाई। साथ ही चेतावनी दी कि “अगर भारत फिर किसी भी तरह की आक्रामकता करता है, चाहे वह जमीन, हवा या समुद्र से हो, पाकिस्तान पूरी ताकत से जवाब देगा।”