सीरिया में वर्षों से जारी संघर्ष के बीच सरकार की शांति बहाली की कोशिशें अब तक विफल रही हैं। एक ओर जहां इज़राइली हमले थमने का नाम नहीं ले रहे, वहीं दूसरी ओर देश के विभिन्न विद्रोही गुट सरकार से समझौते के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। हाल ही में ड्रूज और बेदौइन समुदायों के बीच भड़की हिंसा ने हालात और बिगाड़ दिए, जिसे शांत करने में सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी। देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसी झड़पों की खबरें सामने आ रही हैं।
इसी कड़ी में सोमवार को कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) ने बताया कि उसके लड़ाकों की अलेप्पो प्रांत में सरकारी सैनिकों से मुठभेड़ हुई है। यह टकराव मार्च में हुए उस अहम समझौते पर संकट ला सकता है, जिसके तहत SDF ने सरकार में सम्मिलित होने की पहल की थी।
कौन हैं SDF और क्यों है उनका महत्व?
SDF वही बल है जिसने 2019 में अमेरिका की सहायता से सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी। अमेरिका ने इस गठबंधन को हथियार और सैन्य प्रशिक्षण प्रदान किया था। इसी वर्ष मार्च में, राष्ट्रपति बशर अल-असद के पद छोड़ने के बाद, SDF ने दमिश्क में नई सरकार के साथ मिलकर देश के एकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया था।
इस समझौते का मकसद था युद्ध से तबाह देश को एकजुट करना और कुर्द-नियंत्रित क्षेत्रों को सरकारी तंत्र में शामिल करना। लेकिन ताज़ा हिंसा से एक बार फिर सीरिया के विभाजन की आशंका गहरा गई है।
SDF का आरोप और चेतावनी
SDF का कहना है कि सरकारी बलों ने दयार हाफिर क्षेत्र में स्थित उसकी चार चौकियों पर हमला किया है। संगठन ने एक बयान में स्पष्ट किया कि “हम इस आक्रामक कार्रवाई के लिए पूरी तरह से सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। हमारे बल अब पहले से ज्यादा मजबूत और संकल्पित हैं, और जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।”
इससे पहले शनिवार को, मनबिज़ शहर में हुए एक हमले को लेकर सरकार और SDF ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे। सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने SDF पर ग्रामीण इलाके में एक सैन्य चौकी पर रॉकेट दागने का आरोप लगाया था, जबकि SDF ने कहा कि उसने नागरिक इलाकों पर की गई तोपखाने की बमबारी का जवाब दिया।
इन घटनाओं ने एक बार फिर सीरिया में अस्थिरता और राजनीतिक एकता की चुनौती को उजागर कर दिया है।