चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन संकट के समाधान के लिए भारत और चीन की कोशिशों की सराहना की। उन्होंने कहा कि युद्ध के बीच शांति बहाल करने की दिशा में दोनों देशों ने अहम भूमिका निभाई है।

इस दौरान पुतिन ने अमेरिकी व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूक्रेन ‘मोदी का युद्ध’ है। पुतिन ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन में जारी संघर्ष रूस की ओर से किसी आक्रमण का नतीजा नहीं है, बल्कि पश्चिमी देशों के समर्थन से कीव में 2014 में हुए तख्तापलट की देन है।

उन्होंने यह भी दोहराया कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की लगातार कोशिशें रूस की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं और यही संकट का एक बड़ा कारण है। पुतिन के मुताबिक, कीव की सत्ता से उन नेताओं को हटाया गया था, जो यूक्रेन की नाटो सदस्यता के विरोधी थे।

नवारो का आरोप था कि भारत रूस से सस्ते तेल खरीदकर युद्ध को परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि भारत रूसी तेल लेना बंद कर दे तो अमेरिका टैरिफ में 25 प्रतिशत की छूट देने को तैयार है। साथ ही उन्होंने दावा किया था कि शांति बहाल करने की चाबी किसी हद तक नई दिल्ली के पास है।

पुतिन रविवार को एससीओ सम्मेलन में शामिल होने चीन पहुंचे थे। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भोज में हिस्सा लिया और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा किए। सम्मेलन में उनकी मौजूदगी का केंद्र रूस-यूक्रेन युद्ध, युद्धविराम की कोशिशें और भारत पर तेल व्यापार को लेकर पश्चिमी दबाव रहा।

गौरतलब है कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी। शुरू में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य थे। बाद में 2017 में भारत और पाकिस्तान जुड़े, 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस को भी सदस्यता मिल गई।