ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर के बोरोनिया इलाके में एक बार फिर नस्लीय विद्वेष की घटना सामने आई है। यहां श्री स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर आपत्तिजनक और नस्लीय टिप्पणियों के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया गया। इस घटना को भारतीय मूल के लोगों की भावनाओं पर सीधा हमला माना जा रहा है।
नस्लीय टिप्पणियों से दीवारों को किया गया खराब
स्थानीय मीडिया ‘ऑस्ट्रेलिया टुडे’ की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर की बाहरी दीवारों पर लाल रंग से नस्लीय घृणा फैलाने वाले वाक्य जैसे ‘गो होम ब्राउन…’ लिखे गए। यही नहीं, आसपास के दो एशियाई भोजनालयों की दीवारों पर भी इसी प्रकार की अभद्र भाषा लिखी गई है।
हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने जताई कड़ी नाराजगी
हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया (विक्टोरिया चैप्टर) के प्रमुख मकरंद भगवत ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह मंदिर समुदाय में शांति और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान पर सीधा हमला बताया।
सरकारी प्रतिक्रिया और जांच जारी
हालांकि विक्टोरिया की मुख्यमंत्री जैसिंटा एलन ने अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके कार्यालय की ओर से मंदिर समिति को भेजे गए संदेश में इस घटना को नफरत से प्रेरित और समाज में डर फैलाने वाला बताया गया है। एलन ने यह भी आश्वासन दिया कि विक्टोरिया पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
पुलिस ने चार मामलों को जोड़ा आपस में
विक्टोरिया पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि बोरोनिया और बेजवाटर क्षेत्रों में हुई चार अलग-अलग घटनाओं की जांच की जा रही है, जो आपस में जुड़ी प्रतीत होती हैं। इन मामलों में मंदिर, दो रेस्टोरेंट और एक वैकल्पिक चिकित्सा केंद्र को लक्ष्य बनाया गया है। पुलिस ने कहा है कि किसी भी समुदाय के खिलाफ इस प्रकार के घृणास्पद कृत्य समाज में अस्वीकार्य हैं।
समुदाय में एकजुटता और समर्थन
घटना के बाद भारतीय समुदाय के विभिन्न संगठनों के साथ-साथ बहुसांस्कृतिक समूहों ने एकजुट होकर ऐसे कृत्यों का विरोध किया है। ‘सिटी ऑफ ग्रेटर नॉक्स’ की मल्टीफेथ नेटवर्क ने मंदिर प्रशासन को समर्थन और सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
भारतीय युवक पर हमले की घटना ने और बढ़ाई चिंता
इसी सप्ताह एक अन्य घटना में, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में 23 वर्षीय भारतीय युवक चरनप्रीत सिंह पर नस्लीय टिप्पणी के बाद जानलेवा हमला किया गया। हमलावरों ने पहले उसे अपशब्द कहे और फिर बुरी तरह मारपीट कर सड़क पर फेंक दिया।
निष्कर्ष: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठनी चाहिए आवाज
इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित किया है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों और अन्य अल्पसंख्यकों को अब भी नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है। भारतीय समुदाय ने सरकार से सुरक्षा बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस विषय को प्रमुखता से उठाने की मांग की है।