दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा है कि आईबीएसए—भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का त्रिपक्षीय समूह—आज की बदलती वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति बनकर उभर रहा है। दक्षिण अफ्रीका द्वारा आईबीएसए की अध्यक्षता ग्रहण करने के अवसर पर उन्होंने समूह को “वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं का प्रतीक” बताया।

जोहानिसबर्ग में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईबीएसए नेताओं की अलग बैठक में रामाफोसा ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विचार–विमर्श किया। उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और आईबीएसए सदस्य देश इस बदलाव की दिशा तय करने में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं।

राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि आईबीएसए की मजबूती इसका सिद्धांत–आधारित और रचनात्मक सहयोग है, जो विविधता को कमजोरी नहीं बल्कि शक्ति का स्रोत मानता है। उन्होंने कहा कि समूह का आधार उन वास्तविक चुनौतियों और अपेक्षाओं पर टिका है, जिनका सामना तीनों देशों की जनता प्रतिदिन करती है।

रामाफोसा ने वैश्विक शासन ढांचे में व्यापक सुधारों की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया को अधिक प्रतिनिधि और जवाबदेह बहुपक्षीय व्यवस्था की जरूरत है। उन्होंने जलवायु कार्रवाई को लेकर प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने, न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने, खाद्य एवं स्वास्थ्य सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने और तकनीकी प्रगति के लाभों को सभी तक समान रूप से पहुँचाने का आह्वान भी किया।

उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी असमानताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमीर और गरीब राष्ट्रों के बीच बढ़ती खाई तथा गरीबी–अविकसितता की चुनौतियों को समावेशी आर्थिक विकास के नए मॉडल से ही दूर किया जा सकता है।

आईबीएसए फंड जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह समूह अपने सहयोग के व्यावहारिक और मानव–केन्द्रित स्वरूप को बार–बार साबित करता रहा है। रामाफोसा ने विश्वास व्यक्त किया कि निकट भविष्य में आईबीएसए देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।