रूस ने रविवार को यूक्रेन की ऊर्जा संरचनाओं पर ताबड़तोड़ हमला किया है, जिसमें मॉस्को ने कहा कि उसके सैनिकों ने कीव और अन्य क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति से जुड़ी सुविधाओं को निशाना बनाया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह भी दावा किया कि 24 घंटे में उनके हवाई सुरक्षा बलों ने यूक्रेन की ओर से दागे गए दर्जनों ड्रोन मार गिराए। आधिकारिक आंकड़े में 72 ड्रोन का जिक्र किया गया है।

कीव के क्षेत्रीय प्रशासन प्रमुख माईकोला कालाशनिक ने बताया कि हमलों में देश की सबसे बड़ी निजी ऊर्जा कंपनी DTEK के दो कर्मचारी घायल हुए हैं। यूक्रेन के ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार डोनेत्स्क, ओडेसा और चेर्निहिव समेत कई क्षेत्रों में बिजली वितरण और संबंधित ढांचे को क्षति पहुंची है।

राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा कि रूस ने पिछले सप्ताह में भारी मात्रा में ड्रोन, मिसाइलें और ग्लाइडबम दागे और अभी भी उनके हवाई हमले जारी हैं। कीव का कहना है कि बुनियादी ढांचे पर हमले सीधे नागरिक जनजीवन को प्रभावित कर रहे हैं।

एक ही समय में, अमेरिका द्वारा यूक्रेन को टॉमहॉक क्रूज मिसाइल देने की संभावित घोषणा ने मॉस्को में तीखी प्रतिक्रिया जन्म दी है। क्रेमलिन ने बताया कि टॉमहॉक देने की खबरों ने सुरक्षा माहौल को और संवेदनशील कर दिया है और कहा गया है कि यह युद्ध को एक नये चरण में ले जा सकता है। अमेरिकी विशिष्ट हथियार की मारक क्षमता और दीर्घ-रेंज विशेषताओं के कारण रूस की ओर से भी सतर्क राय सामने आई है।

फाइनेंशियल टाइम्स और अन्य रिपोर्टों में यह भी दावा उठाया गया है कि अमेरिकी खुफिया सहायता ने यूक्रेनी बलों को कुछ रूसी ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर लंबी दूरी के हमले करने में मदद दी है। मार्ग-निर्धारण, समय और लक्ष्यों के चयन के मामलों में खुफिया सहयोग पर संकेत दिए गए हैं। व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति कार्यालय ने अभी तक इन दावों पर विस्तृत टिप्पणी नहीं की है।

क्रेमलिन का आरोप है कि नाटो और अमेरिका नियमित रूप से कीव को खुफिया जानकारी और समर्थन दे रहे हैं, जबकि पश्चिमी पैनल ने यूक्रेन की आत्मरक्षा और रूस द्वारा शुरू किए गए आक्रमण के मद्देनजर सहायता देने की बात कही है। इस सबके बीच दोनों ओर से जारी सैन्य-राजनीतिक बयानबाजी ने तनाव बढ़ा दिया है और क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका बढ़ा दी है।

स्थानीय स्तर पर प्रभावित क्षेत्रों में बिजली बहाली और सुरक्षा उपायों पर काम जोर पकड़ा गया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियार आपूर्ति और खुफिया सहयोग के प्रभावों पर कूटनीतिक बहस तेज हो रही है। घटनाक्रम आगे बढ़ने के साथ ही नाटो, मास्को और वाशिंगटन के बीच परस्पर आरोप-प्रत्यारोप और नीति निर्णयों पर वैश्विक निगाहें टिकी हुई हैं।