रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच शांति बहाल करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का रुख नरम पड़ा है और वार्ता की संभावनाएं बढ़ी हैं। इसी क्रम में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी देने पर विचार शुरू किया है।
अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ का कहना है कि पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ हालिया शिखर बैठक में यूक्रेन को सामूहिक सुरक्षा गारंटी देने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। यह गारंटी नाटो के अनुच्छेद-5 जैसी होगी। विटकॉफ ने इसे अब तक का सबसे बड़ा बदलाव बताते हुए कहा कि अगर यह लागू हुआ तो यह “गेम-चेंजर” साबित हो सकता है, क्योंकि यूक्रेन लंबे समय से इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था की मांग करता आ रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि रूस ने आगे और भूभाग पर कब्जा न करने का आश्वासन दिया है।
यूरोप और यूक्रेन की प्रतिक्रिया
ब्रसेल्स में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेयेन ने कहा कि यूरोप इस प्रस्ताव पर अमेरिका के साथ खड़ा है। वहीं, जेलेंस्की ने अमेरिका और यूरोप का आभार जताते हुए कहा कि इस सुरक्षा व्यवस्था के व्यावहारिक पहलुओं पर और स्पष्टता जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा गारंटी “नाटो अनुच्छेद-5” की तरह प्रभावी होनी चाहिए।
शांति समझौते की दिशा और चुनौतियां
विटकॉफ के अनुसार, ट्रंप ने तत्काल युद्धविराम पर जोर देने के बजाय शांति समझौते पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चेतावनी दी कि अगर शांति वार्ता आगे नहीं बढ़ी तो रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
अभी लंबा रास्ता बाकी
विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया घटनाक्रम सकारात्मक संकेत है, लेकिन युद्ध खत्म करने और स्थायी शांति कायम करने की राह अभी कठिन है। खुद अमेरिकी विदेश मंत्री ने माना कि कई मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं। यानी पुतिन के नरम रुख के बावजूद रूस-यूक्रेन संघर्ष का स्थायी हल पाने में अभी समय लगेगा।