वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक ऐतिहासिक पहल करते हुए शुक्रवार को स्टेबलकॉइन के नियमन से संबंधित एक कानून पर हस्ताक्षर कर दिए। इस नए कानून से डिजिटल संपत्तियों को सुरक्षित और अधिक व्यावहारिक भुगतान माध्यम बनाने का रास्ता साफ हो गया है।
'जीनियस एक्ट' नामक यह विधेयक अमेरिकी संसद में 308 बनाम 122 मतों से पारित हुआ। इसे दोनों प्रमुख दलों—डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स—का व्यापक समर्थन मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिजिटल फाइनेंस की दिशा में एक बड़ी और निर्णायक पहल है।
स्टेबलकॉइन के उपयोग में तेज़ी
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस अवसर पर कहा कि यह कानून उन लोगों के नवाचार और प्रतिबद्धता को पहचान देता है, जो लंबे समय से इस क्षेत्र में पारदर्शी ढांचे की मांग कर रहे थे। स्टेबलकॉइन एक विशेष प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसे डॉलर जैसी स्थिर मुद्रा के मूल्य से जोड़ा जाता है। इनका उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है, खासकर उन लोगों में जो क्रिप्टो संपत्तियों के बीच त्वरित फंड ट्रांसफर करते हैं।
नई व्यवस्था से भरोसा बढ़ेगा
नए नियमों के अनुसार, स्टेबलकॉइन जारी करने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर टोकन के पीछे नकद डॉलर या सरकारी बॉन्ड जैसी वास्तविक संपत्ति का आरक्षण हो। साथ ही, उन्हें अपने रिज़र्व की हर महीने सार्वजनिक जानकारी देनी होगी। इससे न केवल उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि बैंकिंग और खुदरा व्यापार जगत में भी स्टेबलकॉइन को व्यापक स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
क्रिप्टो उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून डिजिटल वित्तीय प्रणाली को नई गति देगा और पारंपरिक बैंकिंग से आगे बढ़ते हुए एक नई क्रांति की नींव रखेगा।