जहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस के चीन के करीब जाने पर निराशा जताई, वहीं अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने इसके उलट संकेत दिए और भारत से बातचीत की संभावना जताई। लुटनिक ने कहा कि आने वाले एक-दो महीनों में भारत वार्ता की मेज पर आएगा और राष्ट्रपति ट्रंप के साथ समझौते की कोशिश करेगा।

इंटरव्यू में लुटनिक ने यह भी कहा कि टैरिफ से प्रभावित लोग अपनी सरकार पर दबाव डालेंगे, और यह राष्ट्रपति पर निर्भर करेगा कि वह भारत के साथ कैसे व्यवहार करना चाहते हैं। उन्होंने भारत की रूस से बढ़ती कच्चा तेल खरीद पर भी चिंता जताई और कहा कि युद्ध से पहले भारत केवल 2% तेल रूस से लेता था, अब यह 40% तक पहुँच गया है।

लुटनिक ने कहा कि भारत को यह तय करना होगा कि वह किस पक्ष में खड़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका एक बड़ा उपभोक्ता है और देशों को अमेरिकी बाजार तक लौटना ही होगा।

यह बयान ट्रंप के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट के विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और रूस चीन के हाथों चले गए हैं। इस समय चीन के तिआनजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति शी और पुतिन की नजदीकियों ने वैश्विक ध्यान खींचा।

पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने भी ट्रंप को भारत से संबंध सुधारने की सलाह दी थी। वहीं भारत ने शुरू से ही स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा और विदेश नीति राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों पर आधारित है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा।